समस्या को जड़ से उखाड़ना

By: Nov 11th, 2017 12:05 am

ओशो

पश्चिमी दृष्टिकोण है समस्या के बारे में सोचना, समस्या के कारण ढूंढना, समस्या के इतिहास में जाना, समस्या के अतीत में जाना, समस्या को बिलकुल जड़ से उखाड़ना, दिमाग के संस्कारों को खत्म करना या दिमाग को पुनः अनुकूलित करना, शरीर को पुनः अनुकूलित करना, उन सभी चिह्नों को दूर करना जो दिमाग पर छूट गए हैं। यह पश्चिमी दृष्टिकोण है। मनोविश्लेषण स्मृति में जाता है, वहां काम करता है। यह तुम्हारे बचपन में जाता है, तुम्हारे अतीत में, यह पीछे की ओर गति करता है। यह ढूंढता है कि समस्या कहां से शुरू हुई थी। हो सकता है पचास साल पहले, जब तुम एक बच्चे थे, तुम्हारी समस्या तुम्हारी मां के साथ हुई थी। तब मनोविश्लेषण पीछे जा सकता है। पचास साल का इतिहास! यह बहुत लंबा घिसटता हुआ काम है और तब भी शायद यह ज्यादा मदद नहीं करता क्योंकि समस्याएं लाखों हैं। यह एक समस्या का सवाल नहीं है। तुम एक समस्या के इतिहास में जा सकते हो, तुम अपनी आत्मकथा में देख सकते हो और कारणों को खोज सकते हो और शायद तुम एक समस्या को हल कर सकते हो, लेकिन लाखों समस्याएं हैं। एक जन्म की समस्याओं को हल करने के लिए यदि तुम हर समस्या में जा कर काम करना शुरू  करोगे, तो तुम्हें लाखों जन्मों की जरूरत पड़ेगी। यह बेवकूफी भरा है! अब, वही मनोविश्लेषण का दृष्टिकोण शरीर में प्रवेश कर चुका है। रोल्फिंग, बायो एनर्जेटिक्स और अन्य तरीके हैं, जो कि शरीर से , मांसपेशियों से चिह्नों को मिटाने की कोशिश करते हैं। फिर से, तुम्हें शरीर के इतिहास में जाना होगा, लेकिन दोनों दृष्टिकोणों में एक चीज सुनिश्चित है, उनका सोचने का एक जैसा तर्क पूर्ण तरीका कि समस्या अतीत से आती है इसलिए इससे अतीत में निपटना होगा। पूरब का तरीका बिलकुल अलग है। पहला, वह कहता है कोई समस्या गंभीर नहीं है। जिस क्षण तुम कहते हो कि समस्या गंभीर नहीं है, समस्या करीब करीब निन्यानबे प्रतिशत खत्म हो जाती है। इसके बारे में तुम्हारा संपूर्ण दृष्टिकोण बदल जाता है। दूसरी चीज पूरब कहता है, समस्या इसलिए है क्योंकि तुमने इसके साथ तादात्म्य किया है। इसका अतीत से कोई लेना-देना नहीं है, इतिहास से कोई लेना-देना नहीं है। तुमने इसके साथ तादात्म्य बनाया है, यही असली चीज है और यह सभी समस्याओं को सुलझाने की कुंजी है। समस्या चाहे कोई भी हो आपको उसको जड़ से खत्म करने के लिए उसके कारणों को जानना जरूरी है। अपना दृष्टिकोण सही रख कर ही आप समस्या को हल कर सकते हो। समस्या कोई भी इतनी बड़ी नहीं होती जितना हम उसे गंभीर समझ लेते हैं। अपने आप को इस तरह बना लो कि कोई भी घटना या समस्या हो, तो उससे घबराएं नहीं, बल्कि उससे उबरने का रास्ता ढूंढे। सारी समस्याएं अपने आप ही सुलझ जाएंगी।


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