सीता अम्मान मंदिर

By: Nov 4th, 2017 12:05 am

इस इलाके में कई मंदिर हैं, लेकिन वानर सिर्फ  सीता माता के मंदिर में ही नजर आते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक भगवान हनुमान की कई प्रतिमाएं हैं। किंवदंती है कि मंदिर के पीछे एक चट्टान पर हनुमान के चरण चिह्न भी हैं। एक खास किस्म का अशोक का पेड़ सीता निवास के इसी दायरे में मिलता है, जिसमें अप्रैल के महीने में लाल रंग के फूल आते हैं…

यूं तो भारत व विश्व के प्रत्येक छोटे- बड़े देव स्थलों में श्रीराम एवं लक्षण जी के साथ सीता जी विराजमान हैं, किंतु ऐसा देव स्थल जहां मुख्य प्रतिमा के रूप में सीता जी की पूजा- अर्चना होती है विश्व में एक ही है। जहां सीता जी ने एक लंबा समय व्यतीत किया था। आज हम आपको बताने जा रहे हैं सीता मंदिर के बारे में, जो श्रीलंका में है और अब पर्यटन स्थल बन चुका है। तमिल श्रद्धालु हिंदी न ही बोल पाते हैं और न ही समझ, फिर भी यहां हनुमान चालीसा पढ़ा जाता है। नुवारा इलिया के घुमावदार ऊंचे पहाड़ों की घनी हरियाली में ही कहीं अशोक वाटिका थी। ऐसे ही एक पहाड़ के कोने में सीता का मंदिर है। इस इलाके में कई मंदिर हैं, लेकिन वानर सिर्फ  सीता माता के मंदिर में ही नजर आते हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक भगवान हनुमान की कई प्रतिमाएं हैं। किंवदंती है कि मंदिर के पीछे एक चट्टान पर हनुमान के चरण चिह्न भी हैं। एक खास किस्म का अशोक का पेड़ सीता निवास के इसी दायरे में मिलता है, जिस में अप्रैल के महीने में लाल रंग के फूल खिलते हैं।

यहां बंदी बन कर रही थी सीता

रावण के राज्य श्रीलंका के नुवारा इलिया नामक पर्वतीय स्थल पर बसे इसी नाम के कस्बे से 5 किलोमीटर दूर केंडी रोड पर इस सीता इलिया अथवा सीता अम्मान मंदिर की स्थापना की गई है। सीता जी के इस एक मात्र मंदिर का निर्माण सन् 1998 में हुआ है। किंतु मान्यताओं एवं किंवदंतियों की दृष्टि में यह वही स्थल है, जहां रावण द्वारा सीता जी को बंदी बना कर रखा गया था। शांत ग्रामीण क्षेत्र में एक झरने के निकट निर्मित यह मंदिर गोलाकार छत और बहुरंगी पौराणिक चित्रों से समृद्ध है। कहते हैं कि हनुमान संजीवनी बूटी के लिए जिस पहाड़ को उठा लाए थे, उसके साथ आई वनस्पतियां यहां फली-फूलीं। सिंहली आयुर्वेद में ये औषधियां आज भी वरदान मानी जाती हैं। यहां पर स्थित देवुरुम वेला नाम की जगह के बारे में माना जाता है कि यहीं सीता की अग्नि परीक्षा हुई थी। यहां की मिट्टी काली राख की परत जैसी है, जबकि देशभर में भूरी और हल्के लाल रंग की मिट्टी पाई जाती है।


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