हर मत का हो दान

By: Nov 9th, 2017 12:02 am

उमा ठाकुर

लेखिका, पंथाघाटी, शिमला से हैं

चुनाव का महाकुंभ हर उस मतदाता को एक मौका देता है, जो अपने मताधिकार का उपयोग कर लोकतंत्र की मजबूती को सुनिश्चित बनाता है। प्रजातंत्र में मतदाता को मिला यह अधिकार मतदाताओं को सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने का एक स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है। सनातन भारतीय समाज में जिस प्रकार धार्मिक दृष्टि से दान का महत्त्व माना गया है, उसी प्रकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदान का महत्त्व समझकर आम जनता निष्पक्ष, ईमानदार, देशभक्ति से ओत-प्रोत एवं कर्त्तव्यनिष्ठ प्रत्याशी का चुनाव कर सकती है। युवा शक्ति समाज का आईना है। युवा सोच और युवा जोश समाज की धारा बदल सकते हैं, लेकिन युवा वर्ग का मतदान के प्रति अधिक रुझान न दिखाना कई प्रश्नचिन्ह खड़े करता है।

व्यवस्था के प्रति आक्रोश, नौकरी न मिलने की हताशा और स्वरोजगार के नाम पर ठगा सा महसूस करना इस उदासीनता के कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं। युवा वर्ग को दोष देने से पहले हम सभी को उन्हें मतदान का महत्त्व समझाना होगा। इस दौरान उनके मन में जो सवाल उठते हैं, उनका समाधान ढूंढना होगा। वोट न डालना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। मेरे एक वोट न डालने से क्या फर्क पड़ जाएगा, ऐसी सोच को हमें अब बदलना होगा। प्रजातंत्र में मिले इस वोट के अधिकार का हमें जरूर प्रयोग करना चाहिए। व्हाट्सऐप, फेसबुक की दुनिया से एक दिन के लिए बाहर निकलकर व वोट डालकर युवाशक्ति को देश के निर्माण में योगदान देना चाहिए। महिलाओं को सामाजिक व्यवस्था से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस चाहिए तो सिर्फ परिवार की बुनियादी सुविधाएं, सामाजिक सुरक्षा, वैचारिक स्वतंत्रता और सम्मानपूर्वक जीवन। मेरा यह मानना है कि लोकतंत्र के इस पर्व यानी चुनाव को सफल बनाने में हम सभी को घर से निकल कर मतदान केंद्र तक सफर जरूर तय करना चाहिए। आप कीमती वोट की ताकत से अपने जीवन का सफर आसान बन सकते हैं। जो व्यक्ति अपने मतदान का प्रयोग नहीं करता, उसे बाद में सरकार की नीतियों पर दोषारोपण करने का भी कोई हक नहीं।


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