आध्यात्मिक से आपराधिक हुआ हिमाचल

By: Dec 6th, 2017 12:05 am

सुरेश कुमार

लेखक, योल, कांगड़ा से हैं

हिमाचल में अपराध कई गुना बढ़ गया और विकास बौना हो गया। हाल ही में कई घटनाक्रमों ने कानून-व्यवस्था की  कलई खोल कर रख दी है। युग हत्याकांड, होशियार सिंह प्रकरण और बिटिया बलात्कार तथा हत्या के मामले ने जाहिर कर दिया कि अब हिमाचल अध्यात्म से दूर अपराध का अड्डा बन चुका है…

जिस प्रदेश में पांच शक्तिपीठ हों, उसकी फिजाओं में आध्यात्मिकता का असर होना स्वाभाविक है। चामुंडा देवी, बज्रेश्वरी देवी, नैना देवी, चिंतपूर्णी और ज्वालाजी के दरबार पर हर साल लाखों के हिसाब से श्रद्धालुओं का नतमस्तक होना इस बात का सबूत है कि हिमाचल की हवाओं में सात्विकता का सुरूर है। पर ये बातें दो दशक पहले के हिमाचल का वृत्तांत हैं, जब हिमाचल को शांति का पर्याय कहा जाता था। बाहरी प्रदेशों से लोग भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल सुकून से बिताने के लिए हिमाचल आते थे। यह तब सच भी था और हिमाचल की हवाओं में आध्यात्मिकता का आभास भी होता था। कभी हिमाचल की हवाओं में ओउम् का उद्घोष सुनाई देता था और सुबह-सवेरे मंदिरों में घंटियों की गूंज मन को दैवीय लोक का एहसास करवाती थी और आज सुबह अखबारें अपराध की सुर्खियों से सराबोर होती हैं।

इन दो दशकों में हिमाचल कितना बदल चुका है। अब यहां सैलानी सुकून के लिए नहीं आते, बल्कि दूसरे प्रदेशों के सजायाफ्ता भागे हुए कैदी पनाह पाते हैं। हिमाचल को दूसरे प्रदेशों के अपराधी अपने लिए सुरक्षित ठिकाना मानते हैं। और जो सुकून की तलाश में हिमाचल आते हैं, उन्हें हिमाचल में आकर अपराध का सामना करना पड़ता है। कितने समाचार आए कि मकलोडगंज में विदेशी महिला से छेड़खानी हुई या दुराचार हुआ। इस तरह के हालात हिमाचल की छवि को दागदार करने के लिए काफी हैं। हिमाचल की शांत फिजाओं को पड़ोसी राज्यों ने ज्यादा प्रभावित किया। पंजाब से सटे इलाकों से नशा हिमाचल की युवा पीढ़ी को परोसा जा रहा है, उत्तराखंड से सटे हिमाचल में बेटियों को विवाह के नाम पर बेचने के समाचार भी आए हैं। कभी दशहरे के लिए जाना जाने वाला कुल्लू अब मानव और मादक पदार्थों की तस्करी के लिए मशहूर हो गया है। हिमाचल में आईएसआईएस के एजेंट का पकड़ा जाना इस ओर इशारा करता है कि आतंक की पदचाप प्रदेश में सुनाई देने लगी है। हिमाचल में अपराध कई गुना बढ़ गया और विकास बौना हो गया। हाल ही में कई घटनाक्रमों ने कानून-व्यवस्था की कलई खोल कर रख दी है। युग हत्याकांड, होशियार सिंह प्रकरण और बिटिया बलात्कार के मामले तथा अब पांवटा में बलात्कार के बाद युवती की हत्या ने जाहिर कर दिया कि हिमाचल अध्यात्म से दूर अपराध का अड्डा बनता जा रहा है। बिटिया मामले में पूरी एसआईटी का जेल में बंद होना इस बात को साबित करता है कि अब पुलिस की वर्दी भी बदरंग हो गई है।

एक बेटी की बलात्कार के बाद मौत हो गई और पूरी की पूरी जांच टीम अपराधी हो गई। यह अभी भी पता नहीं चला कातिल कौन और यह भी नहीं मालूम कि किस की शह पर अपराधियों को बचाया जा रहा था। सीबीआई से आस भी अब धूमिल हो रही है, क्योंकि जैसे-जैसे मामला पुराना होता जा रहा है न्याय की न्यूनता बढ़ती जा रही है। अब जरा चंबा की तरफ रुख करें, तो मामला ही कुछ और है। कहीं कुरान को फाड़ दिया गया तो कहीं मंदिर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। पांवटा में धार्मिक स्थल में तोड़-फोड़ और पवित्र पुस्तकों को जलाने जैसी क्रमवार घटनाएं किसी अनकहे उत्पात की ओर इशारा कर रही हैं। यह छोटी बात नहीं, क्योंकि धार्मिक उन्माद ऐसे मामलों में बड़ा नुकसान पहुंचाता है। कोई तो है जो इस शांत पहाड़ को पीड़ा पहुंचाना चाहता है। हमीरपुर में महात्मा गांधी की मूर्ति से छेड़छाड़ भी इसी कड़ी का हिस्सा हो सकती है। ये घटनाएं इस प्रदेश को बड़े भंवर में धकेल सकती हैं। इतने हादसे हो रहे हैं और पुलिस के हाथ से केस आगे सीबीआई को सौंप दिए जाते हैं। यानी यह एक प्रक्रिया ही बन गई है कि हादसों को होते हुए देखो, मामला दर्ज करो और आगे की जांच दूसरी एजेंसी को सौंप दो। एक तरह से देखा जाए तो हिमाचल में विकास और विनाश साथ-साथ ही चल रहे हैं। एक तरफ हिमाचल अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के लिए जाना गया, शिक्षा-स्वास्थ्य में अव्वल बना, तो बिटिया और होशियार सिंह जैसे प्रकरणों ने इसकी छवि को भी तार-तार किया है। रोज अखबार अपराध की सुर्खियों में रंगे मिलते हैं। चोरी-डकैती, बलात्कार, अपहरण और एटीएम लूट की वारदातें तो आम हो गई हैं। यह कैसी देवभूमि जहां दूसरे राज्य से काम के लिए आए लोगों से बंधुआ मजदूरी करवाई जाती हो, जहां रोशनी देवी को बंधक बनाकर रखा जाता हो, जहां एक बेटा दारू के लिए पैसे न देने पर अपनी मां पर कुल्हाड़ी से वार कर देता हो, जहां गगरेट की एक वर्षाशालिका में कोई छह महीने के बच्चे को छोड़ जाता है और कहीं कोई नदी में ही जिंदा बच्चे को बहा देता है।

हिमाचल में अपराध का आंकड़ा दिनोंदिन बढ़ रहा है। जब इस तरह की घटनाएं आम हो जाएं तो समझो कि प्रदेश में अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है और अपराध का यह ग्राफ ही विनाश को बयान करता है। हम अकेले पुलिस को ही कोस कर पल्ला नहीं झाड़ सकते। पुलिस अपराध से तभी लड़ सकती है, जब उसे जनसहयोग मिले। दूसरे राज्यों  से आए मजदूर-कामगार पूरे प्रदेश में फैले हैं। लोग उन्हें किराए पर मकान देते हैं, पर कोई भी उन मजदूरों-कामगारों का पंजीकरण स्थानीय थाने में करवाना मुनासिब नहीं समझता। उन्हें अपने किराए से मतलब है और पता तब चलता है जब वह किसी वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाता है। पुलिस को तो जागना ही है, पर आमजन को भी जागरूक होना होगा। वरना बिटिया बलात्कार और हत्या सरीखे प्रकरण होते रहेंगे और सीबीआई जांच चलती रहेगी। शायद सालोंसाल!

ई-मेल : sureshakrosh@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App