नए साल में सस्ते होंगे पेट्रोल-डीजल

By: Dec 16th, 2017 12:04 am

जीएसटी के दायरे में आएंगे पेट्रोलियम उत्पाद, सस्ता होगा घर खरीदना

नई दिल्ली — देश की टैक्स नीति के लिए साल 2017 काफी अहम रहा। इस साल न सिर्फ नई टैक्स नीति गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू किया गया, बल्कि इसमें कई बदलाव भी किए गए। मोदी सरकार ने जीएसटी के तहत आम आदमी को राहत देने के लिए कई  उत्पादों का रेट घटाया। कारोबारियों के लिए भी रिफंड क्लेम करने का काम आसान कर दिया गया है। नए साल में जीएसटी आम आदमी के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को राहत देने का काम करेगी। अगले साल जहां जीएसटी परिषद पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना तय माना जा रहा है, वहीं अर्थव्यवस्था के नए साल में जीएसटी के साइड इफेक्ट से उभरने की उम्मीद भी जताई जा रही है। नए साल में जीएसटी आम आदमी को सस्ते पेट्रोल और डीजल का तोहफा दे सकती है। इस साल पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए ऑयल मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नितिन गडकरी ने आवाज उठाई थी। इन नेताओं ने कहा कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर लगाम कसने के लिए जीएसटी ही एकमात्र रास्ता है। सुशील मोदी का कहना है कि अगले साल बिजली भी जीएसटी के दायरे में आ सकती है। अक्तूबर महीने में महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगटीवार ने कहा था कि सभी राज्यों ने पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की अनुमति दे दी है। उनके मुताबिक अब इन उत्पादों को इसके तहत लाने के लिए हमें सही वक्त का इंतजार करना होगा।

कम होंगे टैक्स स्लैब 

आने वाले नए साल में जीएसटी के तहत टैक्स स्लैब को घटाकर सिर्फ दो पर ही सीमित किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि जीएसटी परिषद की अगली बैठक में मौजूदा पांच टैक्स स्लैब को दो में ही सीमित किया जा सकता है। उन्होंने संकेत दिए कि 28 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म किया जा सकता है। इसकी जगह सिर्फ 12 और 18 फीसदी टैक्स स्लैब रखे जा सकते हैं।

45 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल

अब उम्मीद जताई जा रही है कि नए साल में जीएसटी परिषद पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल कर ही लेगी। अगर ऐसा होता है तो आपको एक लीटर पेट्रोल करीब 45 रुपए में मिल सकेगा। डीजल की कीमत भी इसके आसपास रहने की संभावना है। दरअसल जीएसटी के तहत आने से कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों का असर कम किया जा सकेगा।

कर चोरी पर लगेगी लगाम

जेटली के मुताबिक सबसे ज्यादा कर चोरी रियल इस्टेट क्षेत्र में ही होती है। अगर इसे जीएसटी के दायरे में ला दिया जाता है तो कर चोरी पर काफी हद तक लगाम कसी जा सकती है। इस पर भी जीएसटी परिषद की 23वीं बैठक में फैसला लिए जाने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इसके बाद नए साल में रियल इस्टेट को जीएसटी के तहत लाना तय है।


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