बेलगाम जुबान
(पुष्पांकर पीयूष, केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला)
कुछ दिनों पहले कांग्रेस के एक पूर्व नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा प्रधानमंत्री के लिए कुछ असभ्य शब्दों का इस्तेमाल किया। यह उनकी ओछी राजनीति को दर्शाता है, परंतु आज के दौर के राजनीति के मद्देनजर यह कोई नई या हैरानी वाली बात नहीं है। आज राजनेता अपने विचारों की लड़ाई छोड़ अमर्यादित भाषाओं से ज्यादा लड़ रहे हैं। आम तौर पर चुनावों में मुख्य मुद्दे विकास, रोजगार, सड़क, पानी, बिजली की व्यवस्था आदि होने चाहिएं, लेकिन आज के चुनावी परिदृश्य में ये सारी बातें नहीं होतीं। होता है तो एक-दूसरे के खिलाफ अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग। भारतीय लोकतंत्र में इस प्रकार से बढ़ता अमर्यादित भाषा का प्रयोग लोकतंत्र पर लोगों का विश्वास उठाने जैसा है। अमर्यादित भाषाएं भारतीय लोकतंत्र पर एक काला धब्बा हैं, जो भारतीय लोकतंत्र की सफेद चादर को मैला करता जा रहा है। नेताओं को इस अमर्यादित भाषाओं का प्रयोग से बचना चाहिए।
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