अनिवार्य हो नैतिक शिक्षा

By: Jan 18th, 2018 12:05 am

नीरज मानिकटाहला, यमुनानगर, हरियाणा

समाज में नैतिक मूल्यों का अनवरत अवमूल्यन चिंताजनक है। छेड़छाड़, मानमर्दन व हत्या सरीखे संगीन कृत्य और एकल परिवारों का चलन नैतिक शिक्षा को तिलांजलि का ही नतीजा है। शैशवावस्था में बालमन शून्य होता है। चूंकि परिवार प्रथम पाठशाला है, लिहाजा अभिभावक व अन्य पारिवारिक सदस्यों का आचरण आदर्श उदात्त भावना से परिपूर्ण होना चाहिए। बाल मस्तिष्क पर मानवीय मूल्यों की ‘दृष्टांत प्रस्तुति’ लाभदायक होती है। शिक्षार्थियों की वाणी, कर्म व आचार-व्यवहार में गुरु उपदेश ही निमित्त है। मूल्यपरक शिक्षा के प्रति नकारात्मक नजरिया राष्ट्रीय प्रगति में भी बाधक है। अनुशासन, ईमानदारी, विवेक, विनम्रता, त्याग, शिष्टाचार, सत्यता, सदाचार सरीखे सर्वोत्कृष्ट संस्कार मूल्य आधारित शिक्षा में ही निहित हैं और आत्मशक्ति के पर्याय हैं। स्वस्थ समाज व उन्नत गुणों की बुनियाद के लिए शाश्वत सार्वभौमिक मूल्यों का व्यावहारिक आत्मसात सद्साहित्य व शिक्षाप्रद प्रेरक प्रसंगों के पठन से ही होता है। नतीजतन मूल्य आधारित नैतिक शिक्षा को देश भर के तमाम शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य किया जाना समय की मांग है।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App