अम्मा हौंदी तां…खिचड़ी लगणी थी और भी स्वाद

By: Jan 14th, 2018 12:02 am

बिलासपुर— बिलासपुर प्रेस क्लब में शनिवार को लोहड़ी के उपलक्ष्य में एक साहित्यक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सीआरपीएफ के सेवानिवृत्त कमांडेंट सुरेंद्र शर्मा ने मुख्यातिथि व सुखराम आजाद ने अध्यक्ष व कसौली विधानसभा के पूर्व विधायक सतपाल कंबोज ने विशेष आतिथि के रूप में शिरकत की। सर्वप्रथम रविंद्र भट्टा ने लोहड़ी का बदलता स्वरूप विषय पर पत्र वाचन किया। उन्होंने बताया कि गोविंदसागर झील में डूबे ऐतिहासिक शहर बिलासपुर में लोहड़ी का त्योहार किस अंदाज में मनाया जाता था। उसके बाद नए नगर तक पहुंचते-पहुंचते लोहड़ी का कैसा अंदाज बदल गया। कुलदीप चंदेल ने आओ मित्रो लोहड़ी मनाइए, गिठ्ठा बालिए पूरियां-पल्ले पकाइए, बंडी चूंडी खाइए कविता सुनाई। इसके बाद डा. जय नारायण कश्यप ने ..यादों के घिरोदों को साहिल पर न छोड़ अवारा लहरों में, तेरे परेशान ख्याल समंदर को तूफान के हवाले करते हैं। रवि सांख्यान ने झील में डूबे मंदिरों की व्यथा यूं बयान की .. वो भी दिन थे… झांककर देखा तो एक सिसकती जिंदगी नजर आई कविता सुनाई। अमरनाथ धीमान की गजल का मिस्रा था नैनों के तीर चलाया न करो, अपनो को कभी सताया न करो। इंदेश शर्मा ने जीवन में प्रकृति बाधा नहीं, प्रकृति जीवन का संगीत कविता सुनाई। अब बारी थी वरिष्ठ कवि जीत राम सुमन की..उन्होंने पहाड़ी कविता मिली जुली मनाणा लोहड़ी रे त्योहारा सुनाते हुए फरमाया खांदे-खांदे खिचड़ी मिंजो आई पुरानी याद, अज अम्मा हौंदी तां खिचड़ी लगणी थी और भी स्वाद’ कविता प्रस्तुत करके खूब दाद बटोरी। सुशील पुंडीर ने विस्थापन का दर्द मैंने पाया जब से वही दर्द सहता आया हूं तब से, और शिव पाल गर्ग ने मेरी जिंदगी का तजुर्बा नाकाम इश्क है, इस दिल को टूटने की आदत सी हो गई है। इसके बाद वरिष्ठ साहित्यकार रतन चंद निर्झर ने नाहन के दिवंगत साहित्यकार कैलाश भारद्वाज से जुड़ा संस्मरण सुनाने के बाद कविता सुनाई, जिसकी पंक्तियां थीं…फोरलेन के आर-पार गिरते घरों की दीवारों से बतिया रहे खिड़की-दरवाजे, अलमारी के पाट नम आंखों से कर रहे हैं अपने गिरने का इंतजार। हुसैन अली ने पुराने समय से पुराने बिलासपुर जनपद में बच्चों द्वारा गाए जाने वाला लोहड़ी गीत लोहड़ी आई, पाभी लोहड़ी आई पाभी दंतार सा…सुनाया।

जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि

रविंद्र भट्टा ने नभ की नीलिमा, रात्रि की कालिमा में, टिमटिमाते सितारों में सूरज की लालिमा में तू हें दे। सुखराम आजाद ने टूटे हुए सूखे पेड़ चिनारों के मिले बुझे हुए दीए वीरान मजारों में मिले सुनाया। विशिष्ट आतिथि के रूप में पधारे कसौली के पूर्व विधायक सतपाल कंबोज ने कहा कि उन्हें साहित्यकारों कवियों  से मिलना व उन्हें सुनना अच्छा लगा। कवि दूर की सोचता है, कहा गया है कि जहां न पहुंचे रवि, वहां पहुंचे कवि।


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