कब हल होगी बंदर के उजाड़ की समस्या

By: Jan 19th, 2018 12:05 am

अभिषेक कुमार, केंद्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला

राजनीति में हमें कई ऐसे फेरबदल देखने को मिलते हैं, जिनमें राजनीतिज्ञ राजनीति करते दिखाई देते हैं। 2017 में हुए हिमाचल विधानसभा चुनाव से पहले हमेशा की तरह  कई विधायकों ने जनता का विश्वास पाने तथा वोट हासिल करने के लिए आम जनता से बड़े-बड़े वादे किए। जनता के काम करने के दिलासे दिए गए, लेकिन चुनावों में जीतने के बाद वे सब न जाने कहां गुम हो जाते हैं। हिमाचल में हुए 2017 के विधानसभा चुनावों में विधायकों द्वारा लोगों की समस्याएं सुनी गईं। इनमें मुख्य समस्या बंदरों के उजाड़ तथा आवारा पशुओं की समस्या थी। प्रत्याशियों ने लोगों को आश्वासन दिया कि उनका दल सत्ता में आया, तो इस समस्या का हल ढूंढेगे। चुनाव परिणामों में वे तमाम प्रत्याशी जीते भी, लेकिन बंदरों की समस्या अभी तक वहीं की वहीं खड़ी है। उन पर कोई जमीनी कार्रवाई नहीं की जा रही है। बंदरों के आतंक के कारण ही आज कई एकड़ जमीन वीरान पड़ी है। एक तरफ सरकार लोगों को खेती करने पर बल देती है, दूसरी तरफ उन्हीं की समस्याओं का हल करने से क्यों पीछे हट रही है? अगर ऐसा ही चलता रहा तो धीरे-धीरे जो किसान थोड़ी-बहुत खेती कर भी रहे हैं, उजाड़ के डर से वे भी खेती करना छोड़ देंगे। सरकार को इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाना चाहिए, ताकि जो लोग कृषि छोड़ चुके हैं, वे भी दोबारा कृषि कार्य को अपना लें।


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