बीबीसी ने रंजीत सिंह को ‘हिमाचली गांधी’ कहा

By: Jan 17th, 2018 12:05 am

अहिंसात्मक आंदोलन को सफलतापूर्वक चलाने के लिए बीबीसी ने इन्हें ‘हिमाचली गांधी’  कहा। 1973 ई. में अखिल भारतीय फेडरेशन (स्टेट्स) राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने। 1977 ई. में हिमाचल विधानसभा के लिए चुने गए…

रमेश गुप्ता

इनका जन्म नौ अप्रैल, 1929 ई. को शिमला के कैथू में चिरंजी लाल महाजन के घर हुआ। 1942 ई. में केवल 13 वर्ष की आयु में वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। 1942 ई. में जब ब्रिटिश सेना ने स्वयंसेवियों को बंदी बनाया तो मिस्टर गुप्ता ने अपने सहपाठियों के साथ शिमला के रिज पर एक विरोध मार्च का आयोजन किया और बंदी बना लिए गए। शिमला में राजकुमारी अमृत कौर महात्मा गांधी की विश्वासपात्र थीं। वह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान भूमिगत हो गईं और उसने रमेश गुप्ता को अंग्रेजों के विरुद्ध नौजवानों को संगठित करने का आदेश दिया। 1947 ई. की सांप्रदायिक प्रचंड अग्नि में वह मुसलमानों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए आगे आए। 1959-66 में वह विनोबा भावे द्वारा चलाई ‘सूर्योदय विचार पत्रिका’ के संपादक बने। 1966 ई. में वह हिमाचल नशा मुक्ति परिषद के महासचिव बने। 1967 ई. में इन्होंने स्वयं कांगड़ा से अपनी उर्दू साप्ताहिक पत्रिका निकाली। 1984 में इन्होंने ‘पहाड़ लहर’ एक हिंदी साप्ताहिक पत्रिका निकाली। 20 जनवरी, 1988 को इनका निधन हो गया।

रणजीत सिंह वर्मा

इनका जन्म दस जनवरी, 1942 ई. को जिला हमीरपुर के भरयाइयां-दा-टिक्कर में हुआ। शिक्षा-स्नातक, विवाहित, सरकारी कर्मचारी, 21-11-1960 ई. को तब के पंजाब राज्य बिजली बोर्ड धर्मशाला में नौकरी शुरू की। 1962-67 तक बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ धर्मशाला डिवीजन के क्षेत्रीय सचिव रहे। पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल में विलय होने के बाद बिजली बोर्ड कर्मचारी संघ का अध्यक्ष चुने। 1969 में हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी संघ के चेयरमैन बने। 1972 ई. तक उपर्युक्त संघ की संघर्ष समिति के अध्यक्ष बने। 1970 ई. में कर्मचारियों की हड़ताल का नेतृत्व किया और 35 दिन तक एनजीओ की हड़ताल की व्यवस्था की। (23 अप्रैल, 1970 से 27 मई, 1970 तक)। इनको बंदी बनाया और अंबाला जेल भेजा गया। अहिंसात्मक आंदोलन को सफलतापूर्वक चलाने के लिए बीबीसी ने इन्हें ‘हिमाचली गांधी’  कहा। 1973 ई. में अखिल भारतीय फेडरेशन (स्टेट्स) राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने। 1977  में हिमाचल विधानसभा के लिए चुने गए। 1979-80 में हिमाचल विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे।

ऋषिकेश लट्ठ

इनका जन्म ऊना जिला के गांव घुसाड़ा में हुआ। जब डीएवी कालेज लाहौर में थे तो उस समय के प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूफी अंबा प्रसाद, लाला हरदयाल, सरदार अजीत सिंह और भाई परमानंद के संपर्क में आए। 1906 ई. में लाहौर से कराची होकर अजीत सिंह व सूफी अंबा प्रसाद के साथ भाग निकले और बसरा पहुंचे। वहां से डाक्टर के वेश में ‘इस्फान नगर’ को चले गए। वहां पर इन्होंने ‘परवाना’ पत्र का संपादन किया। ब्रिटिश सरकार ने ऋषिकेश के विरुद्ध लाहौर से ‘दि टाइम्स’ समाचार पत्र में उसकी क्रांतिकारी गतिविधियों के बारे में विज्ञापन निकाला था। कौमी पार्टी सरकार ने उन्हें ‘अमर महाजर’ के पद से नवाजा।


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