मनोविज्ञान मन को समझने का करियर

By: Jan 31st, 2018 12:10 am

हमारे जीवन के सभी अहम हिस्से, चाहे वह स्वास्थ्य हो, रोजगार हो या फिर समाज में रुतबा, सब कुछ मन की स्थिति पर निर्भर करते हैं। मनुष्य का पूरा जीवन मन की धुरी पर ही घूमता है। आदमी की सभी गतिविधियों को मन ही नियंत्रित करता है। इस मन को पढ़ने के लिए एक विशेष विषय का अध्ययन करना पड़ता है, जिसे मनोविज्ञान कहते हैं…

हमारे जीवन में दिन-प्रतिदिन बढ़ते तनाव के कारण आजकल मनोवैज्ञानिकों की मांग काफी बढ़ रही है। अब मनोवैज्ञानिकों के पास जाना वर्जित नहीं माना जाता है, जबकि विगत कुछ वर्र्षों तक लोग मनोवैज्ञानिक के पास जाना पसंद नहीं करते थे। आजकल कुछ विद्यालयों और महाविद्यालयों में मनोवैज्ञानिक या परामर्शदाता की नियमित व्यवस्था की जाती है। यह व्यवस्था विद्यार्थियों और अध्यापकों दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हुई है। मनोविज्ञान अपनी पूर्णता में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां करियर से जुड़े अनेक विकल्प हैं। अधिकांश लोग मानसिक रोग का उपचार करने वाले कुछ चिकित्सकों से परिचित हैं। अन्य ऐसे विशेषज्ञों की व्यापक स्तर पर जानकारी नहीं है, जो समुन्नत कम्प्यूटर प्रणाली का डिजाइन तैयार करने में सहायता देते हैं या यह अध्ययन करते हैं कि स्मरण शक्ति कैसे बढ़ाई जाए। अधिकतर लोकप्रिय शाखाओं के अलावा औद्योगिक तथा खेल मनोविज्ञान जैसे क्षेत्रों में भी नौकरी के अवसर बढ़े हैं। ये दोनों शाखाएं अभी भी भारत में प्रारंभिक या मूल अवस्था में हैं, लेकिन इनके विकास की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। वस्तुतः अन्य व्यवसायों की औसतन दर के समान ही तीव्र गति से मनोवैज्ञानिकों की भी मांग भी बढ़ रही है। स्वास्थ्य देखभाल संबंधी रोजगार के अवसर बढ़ते जा रहे हैं। इसी प्रकार मनोविकार तथा आचरण संबंधी दुर्व्यवहार के उपचार के क्लीनिक भी खुलते जा रहे हैं। भाग-दौड़ और तनाव के इस दौर ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में संभावनाओं को काफी बढ़ा दिया है और इस विषय को नई दिशा दी है।

क्या है मनोविज्ञान

साइकोलॉजी ग्रीक भाषा के दो शब्दों ‘साइको’ अर्थात आत्मा तथा ‘लोगोस’ अर्थात विज्ञान से मिल कर बना है, जिसे आधुनिक परिवेश में मनोविज्ञान के नाम से भी जाना जाता है। आत्मा एवं मन का विज्ञान ‘मनोविज्ञान’ एक बेहद रोचक, व्यावहारिक और गूढ़ विषय है। जिसके द्वारा आप हर उम्र के व्यक्ति के मन की बात सहजता से जान सकते हैं। आज की तनाव भरी, तेज रफ्तार एवं प्रतिस्पर्धायुक्त जिंदगी में इनसान जहां हंसना-खेलना तक भूल गया है और डिप्रेशन एवं आत्महत्या जैसे कदम उठाने में भी नहीं हिचकिचाता, ऐसे में मनोविज्ञान उसके लिए एक वरदान है।

मेडिकल क्षेत्र का बेहतर विकल्प

जो छात्र किसी कारणवश मेडिकल में प्रवेश नहीं ले पाते, उनके लिए मनोविज्ञान संभावनाओं की एक नई किरण है। आप साइकोलॉजी में बीए, एमए अथवा एमएससी करके एक प्रोफेशनल डाक्टर की तरह मनोविज्ञान संबंधी परामर्श दे सकते हैं, जिसे साइंटिफिक भाषा में काउंसिलिंग कहा जाता है। विदेशों में तो ऐसे डाक्टरों की मांग सदा बनी रहती है, लेकिन भारत में विशेष तौर पर ऐसे डाक्टरों की बेहद कमी है। इसका बड़ा कारण शायद हमारे समाज की वह सोच है, जहां मनोविज्ञान के डाक्टर को प्रायः पागलों का डाक्टर मान लिया जाता है। यह गलत है।

जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा

मनोविज्ञान का इस्तेमाल जीवन के हर क्षेत्र में, हर विधा में बेहद उपयोगी सिद्घ हुआ है। फिर चाहे वह बच्चों से जुड़ा बाल मनोविज्ञान हो या जानवरों से जुड़ा पशु मनोविज्ञान। शिक्षा मनोविज्ञान, सामाजिक मनोविज्ञान, औद्योगिक मनोविज्ञान, शारीरिक मनोविज्ञान, खेल मनोविज्ञान, सैन्य मनोविज्ञान, क्लीनिकल मनोविज्ञान और असामान्य मनोविज्ञान इत्यादि अनगिनत शाखाएं इस विषय की विशेषताएं हैं।

भारत में मनोविज्ञान

अति प्राचीन काल में जब पश्चिमी देशों में ज्ञान- विज्ञान का प्रारंभ भी नहीं हुआ था और मानवीय सांस्कृतिक विकास की यात्रा शुरू भी नहीं हुई थी, उस समय भारत के दार्शनिक और योगी मानव मनोविज्ञान के विभिन्न पहलुओं और समस्याओं पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे थे।

क्या करता है मनोविज्ञान

जीवन के कठिन पलों को किस प्रकार सहज बनाना है, तरक्की का आसमान कैसे छूना है, संवेदनाओं तथा आकांक्षाओं को नियंत्रित कर उन्हें कैसे उपयोगी बनाना है, मनोविज्ञान की विभिन्न कलाओं द्वारा यही सिखाया जाता है। यह डरने या उपहास करने का विषय नहीं है, बल्कि जीवनशैली में उतारने का विषय है, जिससे स्वस्थ समाज व उच्च स्तर की मौलिक शिक्षा एवं चरित्र का विकास संभव हो सके।

समाज में ज्यादा मांग

आज समाज को मनोवैज्ञानिकों की काफी जरूरत है। बढ़ती आत्महत्या की घटनाएं और डिप्रेशन का कारण यही है कि हमारे पास काउंसिलिंग की अच्छी व्यवस्था नहीं है। विदेशों में प्रत्येक क्षेत्र के काउंसलर हैं, जो संबंधित व्यक्ति का मार्गदर्शन कर सलाह देते हैं। देश में सभी स्तर पर काउंसिलिंग की जरूरत है। भारत एक युवा देश है और जनसंख्या का 60 प्रतिशत युवाओं का है। देश का भविष्य युवाओं पर ही निर्भर है। ऐसे में युवाओं को सही दिशा में लेकर जाने के लिए मनोवैज्ञानिकों की काफी जरूरत है।

वेतनमान

साइकोलॉजी का एक व्यापक क्षेत्र है। अतः इसमें वेतन के मानक विभिन्न क्षेत्रों के हिसाब से तय किए जाते हैं। मसलन अगर आप साइकेट्रिस्ट बनना चाहते हैं तो एक जूनियर रेजिडेंशियल डाक्टर को इंटर्नशिप के दौरान ही 35000 रुपए प्रति माह तक मिल सकते हैं जबकि सीनियर रेजिडेंशियल डाक्टर एवं साइकोलॉजिस्ट 45000 से 55000 रुपए प्रति माह तक कमा लेते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

इस क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं का आर्ट्स संकाय में बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसके बाद इस विषय में स्नातक, परास्नातक करने के बाद पीएचडी की डिग्री प्राप्त की जा सकती है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

 हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला, हिमाचल प्रदेश

 पीजी कालेज धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश

 इंस्टीच्य़ूट फार बिहेवियरल मैनेजमेंट साइंसेज, दिल्ली

 मद्रास मेडिकल कालेज, चेन्नई

 प्रेजिडेंसी कालेज, कोलकाता

 फर्गुसन कालेज, पुणे

 मुंबई यूनिवर्सिटी

 एमिटी इंस्टीच्यूट ऑफ  साइकोलॉजी, नोएडा

पदार्पण कैसे

 एमबीबीएस की डिग्री द्वारा

 साइकोलॉजी में एमए अथवा एमएससी द्वारा

साइकोलॉजी के पसंदीदा क्षेत्र में डिप्लोमा कोर्स करके, जैसे क्लीनिकल, स्ट्रेस रिलीफ , टाइम मैनेजमेंट इत्यादि। इनमें से अधिकतर में प्रवेश पाने के लिए प्रवेश परीक्षा एवं साक्षात्कार द्वारा छात्रों का चयन किया जाता है।

करियर के लिए तैयारी

आप में समाज सेवा का जज्बा होना बेहद जरूरी है। अकसर ऐसा देखा गया है कि इस क्षेत्र से जुड़े लोग दूसरों की समस्या सुलझाते-सुलझाते परेशान होकर खुद मरीज बन जाते हैं या फिर बीच में ही प्रैक्टिस छोड़ देते हैं। उन्हें स्वयं को भगवान न मानते हुए हर परिस्थिति का सामना सहजता एवं धैर्य से करना चाहिए। इसके अलावा हर प्रोफेशन की तरह इसमें भी सच्ची लगन, मेहनत आत्मविश्वास व आसमान छूने की चाहत होनी जरूरी है।

दूसरों के मन को समझें

प्रो. रोशन लाल जिंटा

निदेशक, मनोविज्ञान विभाग, एचपीयू शिमला

मनोविज्ञान में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने रोशन लाल जिंटा से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

करियर के लिहाज से मनोविज्ञान में क्या स्कोप है?

आज के समय में हर इनसान रोजमर्रा की भागदौड़ के बीच कहीं न कहीं तनाव से गुजर रहा है। हम पहले तो इस तनाव की तरफ ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह तनाव हमें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करता है। हर उम्र के लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है। इतना ही नहीं, बच्चे भी इस तनाव से दूर नहीं हैं। प्रतियोगिता के दौर में बच्चों पर बोझ बढ़ता जा रहा है, जिससे तनाव भी बढ़़ रहा है। ऐसे में एक मनावैज्ञानिक की भूमिका बेहद अहम है। एक मनोवैज्ञानिक ही इस तनाव की स्थिति से मुक्त करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके चलते मनोविज्ञान किसी एक क्षेत्र से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह हर क्षेत्र से जुड़ा है, जिससे इसमें करियर के स्कोप भी हर क्षेत्र में बढ़ रहे हैं।

इस क्षेत्र में करियर के लिए आरंभिक शैक्षणिक योग्यता क्या होती है?

मनोविज्ञान में करियर की शुरुआत करने के लिए मास्टर ऑफ आर्ट्स डिग्री, जिसमें साइकोलॉजी में एमए, एमफिल, पीएचडी व अन्य डिप्लोमा कोर्र्सेस आवश्यक हैं।

मनोविज्ञान में रोजगार की संभावनाएं किन-किन क्षेत्रों में हैं?

मनोविज्ञान में हर क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इसमें नेट-सेट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद शिक्षक के रूप में कार्य किया जा सकता है। इसके अलावा स्कूलों में, उद्योगों, एनजीओ, स्वास्थ्य विभाग, अस्पताल, विभिन्न बड़ी परियोजनाओं में, स्पेस एयरोनॉटिक्स, एचआईवी, एआईडी से जुड़े प्रोजेक्टों में, न्यायिक क्षेत्र में मनोवैज्ञानिकों के लिए विशेष पद सृजित किए जाते हैं। यही नहीं, मनोविज्ञान में रोजगार हासिल करने के लिए करीबन सभी क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं।

इस क्षेत्र में आरंभिक वेतन कितना होता है?

मनोविज्ञान क्षेत्र में आरंभिक वेतन अभ्यर्थी की स्किल पर निर्भर करता है। आरंभिक वेतन 15 से 35 हजार प्रति माह रहता है।

साइकोलॉजी विषय में विशेषज्ञ कोर्स कौन-कौन से किए जा सकते हैं?

साइकोलॉजी विषय में बीए इन साइकोलॉजी, बीए ऑनर्स इन साइकोलॉजी, बीएससी इन अप्लाइड साइकोलॉजी, पीजी डिप्लोमा इन गाइडेंस एंड काउंसिलिंग, पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड साइकोलॉजी केयर एंड मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन क्लीनिकल साइकोलॉजी जैसे विशेषज्ञ कोर्स किए जा सकते हैं।

युवाओं को इस क्षेत्र को अपनाने के लिए किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

हिमाचल में तकरीबन ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को इस क्षेत्र में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें सबसे पहले मैरिट आधार पर उन्हें एडमिशन मिल पाना मुश्किल रहता है। दूसरा इस तरह के कार्र्सेस स्कूलों व कालेजों में नहीं होने के कारण उन्हें इस क्षेत्र में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

जो युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, उनके लिए आपका संदेश क्या है?

मेरा युवाओं से यही अनुरोध है कि वे मनोविज्ञान क्षेत्र में आकर इसे पहले पहचानें, समझें और इस पर गहन अध्यन करें। क्योंकि मनोविज्ञान ही एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें छात्र अपने व्यक्तित्व को समझने के साथ-साथ दूसरों के मन के विचारों और उनकी समस्याओं को समझने व उनका निदान करने के काबिल बनता है। मनोविज्ञान का एक व्यापक क्षेत्र है। इसमें पारंगत होने के बाद युवाओं को रोजगार की कमी नहीं रहती।                   — भावना शर्मा, शिमला


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