कौवे का है हिंदू धर्म से गहरा संबंध

By: Feb 3rd, 2018 12:05 am

क्या आपने कभी इस ओर ध्यान दिया है कि आखिर क्यों इस पक्षी का वर्णन अकसर हमारे पुराणों एवं ग्रंथों में आता है? आखिर क्या संबंध है कौवे का हिंदू धर्म से? यहां तक कि जब हम अपने पितरों का श्राद्ध इत्यादि करते हैं, तब भी हम इस पक्षी को अहमियत देते हैं…

यह तो आपको याद ही होगा कि जब हम छोटे थे तो हमारे छत पर बैठे काले कौवे को देख हम उसे कौआ मामा कह कर पकड़ने लगते थे। एक अन्य मान्यता भी हिंदू धर्म में प्रचलित है कि जब किसी के घर के आसपास या उसके छत के ऊपर काला कौआ कांव-कांव करता है तो यह संकेत होता है कि उसके घर कोई मेहमान आने वाला है। यह सब थी मान्यताओं की बात, परंतु क्या आपने कभी इस ओर ध्यान दिया है कि आखिर क्यों इस पक्षी का वर्णन अकसर हमारे पुराणों एवं ग्रंथों में आता है? आखिर क्या संबंध है कौवे का हिंदू धर्म से? यहां तक कि जब हम अपने पितरों का श्राद्ध इत्यादि करते हैं, तब भी हम इस पक्षी को अहमियत देते हैं तथा पितरों के भोजन के साथ-साथ कौए के भोजन के लिए भी अलग से थाली निकालते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्या महत्त्व है इस विचित्र पक्षी का हमारे धर्म में? दरअसल पुराणों के अनुसार यह वर्णित है कि कौआ यमराज का दूत है और जब हम श्राद्ध के अवसर पर अपने पितरों को अन्न अर्पित करते हैं तथा कौवे के लिए भी अलग से अन्न की थाली लगाते हैं तो कौआ यमराज का दूत होने के कारण यमलोक में जाकर हमारे पूर्वजों को उनकी संतान एवं उनकी स्थिति के बारे में अवगत कराता है। श्राद्ध में सम्मिलित किए गए भोजन की मात्रा तथा खाद्य सामग्री को देखकर कौआ पूर्वजों को हमारी सुख-सुविधा तथा हमारे जीवन के हर पहलुओं से जुड़ी बातों की जानकारी देता है। इससे हमारे पूर्वजों की आत्माओं को तृप्ति मिलती है कि उनकी संतान सुख-सुविधाओं के साथ अपना जीवन निर्वाह कर रही है। इसी के साथ कौवे से कई अन्य अनेक रहस्य भी जुड़े हुए हैं। पुराणों में कौवे की विशेषता बताते हुए यह कहा गया है कि इस पक्षी की कभी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होती। कोई बीमारी एवं वृद्धावस्था से भी इसकी मौत नहीं होती है। इसकी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होती है। जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है, उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है। कौआ अकेले में भी भोजन कभी नहीं खाता, वह किसी साथी के साथ ही मिल-बांटकर भोजन ग्रहण करता है। यह पक्षी बिना थके कई मीलों तक उड़ सकता है। कहा जाता है कि कौवे को भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास होता है। शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि कोई क्षमतावान आत्मा कौवे के भीतर प्रवेश कर विचरण कर सकती है। यह भी एक तथ्य है कि आकाश में उड़ने वाले पक्षियों में कौआ सबसे ज्यादा बुद्धिमान माना जाता है। कौए का मस्तिष्क काफी विकसित होता है। कौए के दिमाग की संरचना इनसानों से मिलती-जुलती है। अंटार्कटिका को छोड़कर कौए आपको दुनिया में हर जगह मिल जाएंगे। कौए का वैज्ञानिक नाम है कर्वस ब्राच्यरहैनचोस। दुनिया का सबसे छोटा कौआ मैक्सिको में पाया गया, जिसका वजन मात्र 40 ग्राम था। इथोपिया में दुनिया का सबसे बड़ा कौआ पाया गया, जिसकी लंबाई 65 सेंटीमीटर थी और वजन डेढ़ किलो। घर की मुंडेर पर कौआ कांव-कांव करे तो मेहमान के आने का संदेश देता है। कौए को हमारे पुराणों में स्वर्ग का सबसे निकटतम पक्षी माना गया है। कौए सर्वाहारी होते हैं, ये चाइनीज लोगों की तरह जो अच्छा लगे, सब खा लेते हैं। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि जब कोई कौआ घायल होता है या मरने वाला होता है, तो सारे कौओं का झुंड मिलकर उस पर हमला कर देते हैं और उसे जल्दी मार देते हैं। मजे की बात यह है कि कौए पूरा जीवन केवल एक ही मादा कौए के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं। जब मादा कौआ अपने अंडे सेती है तो नर कौआ उसकी रक्षा करता है। एक और मजे की बात यह है कि नर और मादा कौए दोनों मिलकर अपने बच्चों को पालते हैं। कौए चेहरा पहचानने में माहिर होते हैं और वे शक्ल को काफी लंबे समय तक याद रखते हैं। कौए के बारे में ये मजेदार जानकारी पढ़कर आपको निश्चित ही मजा आया होगा।


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