डेरा बाबा बड़भाग सिंह

By: Feb 24th, 2018 12:07 am

उपमंडल अंब के धार्मिक स्थल मैड़ी में लगने वाला दस दिवसीय होला मोहल्ला मेला भी बुरी आत्माओं से छुटकारा दिलाने वाला मेला माना जाता है। किंवदंती के अनुसार बाबा बड़भाग सिंह मुगल हमलावर अहमदशाह अब्दाली के आक्रमण से क्षुब्ध होकर इस क्षेत्र में आ बसे थे। उस समय यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था। बाबा जी का पीछा करते हुए जब अहमदशाह अब्दाली इस क्षेत्र में आया, तो बाबा जी के तेज से दर्शनी खड्ड में भयानक बाढ़ आ गई, जिसे मुगल सैनिक पार नहीं कर पाए और वहीं से वापस लौट गए। बताया जाता है कि इस स्थान पर एक पेड़ पर प्रेत आत्मा रहती थी, जो इधर से गुजरने वाले लोगों को तंग करती थी। जिससे दुखी होकर क्षेत्र के लोग बाबा जी के पास आए और उन्हें उस प्रेत आत्मा से मुक्ति दिलाने का आग्रह करने लगे। बाबा जी ने उस प्रेत आत्मा को पकड़ कर एक पिंजरे में बंद कर लिया। प्रेत आत्मा वीर नाहर सिंह जी की थी और वह बाबा जी से मुक्ति का आग्रह करने लगी। जिस पर बाबा जी ने उससे भविष्य में कभी भी लोगों को तंग न करने व पीडि़त लोगों का भला करने का वचन ले लिया। एक बार बाबा जी जब समाधि में लीन घोर तप कर रहे थे और उनकी आत्मा स्वर्ग लोक गई हुई थी, तो कई दिन तक बाबा जी को समाधि में देख कर उनके घर वालों ने मृत समझ कर उनकी देह अग्नि भेंट कर दी। कुछ दिन बाद जब बाबा जी की आत्मा लौटकर वापस आई, तो अपना शरीर न पाकर इधर-उधर भटकने लगी। उनकी पत्नी को जब इस बात का पता चला तो वह बाबा जी की आत्मा के आगे गिड़गिड़ाने लगी। तब बाबा जी ने कहा कि वह रोजाना गाय के गोबर का चौका लगाया करे और जब तक चौका सूखेगा नहीं वह उनके पास ही रहेंगे, लेकिन रोजाना चौका शीघ्र सूखने लगा, तो एक दिन उनकी पत्नी ने गोबर में कुछ तरल पदार्थ मिलाकर चौका लगाया जो कि काफी देर तक नहीं सूखा। जब बाबा जी को इस बात का पता चला तो वह काफी नाराज हुए और वहां से सदा के लिए जाने लगे। जिस पर उनकी पत्नी अपनी गलती का एहसास कर रोने लगी। इस पर बाबा जी ने वचन दिया कि वह पीडि़त लोगों का भला करने के लिए साल में एक बार यहां जरूर आया करेंगे। ऐसी मान्यता है कि मेले के दौरान जो पंजा प्रसाद वितरित किया जाता है उस पर बाबा जी स्वयं आकर पंजे का निशान लगाते हैं। वहीं मेले में आने वाले श्रद्धालु दर्शनी खड्ड में स्नान कर बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस बार होली मेला 23 फरवरी से 4 मार्च तक चलेगा। पहली मार्च को झंडे की रस्म होगी, जबकि तीन मार्च की मध्यरात्रि को पंजा साहिब का पवित्र प्रसाद श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा।

 – अजय ठाकुर, गगरेट   


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