धर्मशाला में है लॉर्ड एल्गिन की समाधि

By: Feb 21st, 2018 12:05 am

धर्मशाला नगरपालिका की स्थापना 1867-68 ई. में की गई। यहां प्रसिद्ध सेंट जॉन चर्च है, जहां 20 नवंबर, 1863 ई. को भारत के गवर्नर जनरल लार्ड एल्गिन-।। की अंत्येष्टि की गई। उसने मंडी जिला के गांव चौंतड़ा में अंतिम सांस ली थी। प्रसिद्ध युद्ध स्मारक भी धर्मशाला में स्थित है…

धर्मशाला

यह 1250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 1846 ई. में पंजाब का भूतपूर्व गवर्नर सर डोनाल्ड मेक्ल्योड पहला अधिकारी था, जिसने इस स्थान की यात्रा की। जब ईस्ट इंडिया कंपनी अपनी सेना के लिए उपयुक्त स्थान ढूंढने  की प्रक्रिया में थी, तो 1855 ई. में उन्होंने धर्मशाला की नींव रखी। धर्मशाला नगरपालिका की स्थापना 1867-68 ई. में की गई। यहां प्रसिद्ध सेंट जॉन चर्च है, जहां 20 नवंबर, 1863 ई. को भारत के गवर्नर जनरल लार्ड एल्गिन-।। की अंतयेष्टि की गई। उसने मंडी जिला के गांव चौंतड़ा में अंतिम सांस ली थी। प्रसिद्ध युद्ध स्मारक भी धर्मशाला में स्थित है। इसका नींव पत्थर 24 फरवरी, 1972 ई. को हिमाचल प्रदेश के स्वर्गीय मुख्यमंत्री डा.वाईएस परमार ने रखी थी। यह हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शांता कुमार द्वारा 28 फरवरी, 1977 ई. को राष्ट्र को समर्पित किया गया। धर्मशाला से संबद्ध व्यक्तियों में पाकिस्तान के प्रसिद्ध कवि मलिक मोहम्मद बशीर, अभिनेता निदेशक देवानंद जिसने राजकीय हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की, लाल चंद प्रार्थी जिसने 1938 ई. में धर्मशाला में एक संगीत विद्यालय खोला और खनियारा से ठाकुर राम सिंह जिन्होंने आजाद हिंद फौज के प्रेरणादायक गीत ‘कदम कदम बढ़ाए जा, खुशी के गीत गाए जा, यह जिंदगी है कौम की तू कौम पे लुटाए जा’ की रचना की, शामिल थे। धर्मशाला को 22 जून, 2012 ई. को युद्ध स्मारक से चील गाड़ी तक फैला हुआ अपना माल रोड भी प्राप्त हुआ।

धर्मकोट

धर्मकोट मकलोडगंज से 2 किमी. ऊपर पहाड़ी पर धौलधार की गोद में स्थित एक छोटा सा गांव है। इस गांव को इजरायल से बहुत संख्या में पर्यटकों की उपस्थिति के कारण छोटा इजरायल भी कहा जाता है। इजरायल के पर्यटक इस गांव के इतने शैकीन थे कि कुछ ने तो अपना विवाह संस्कार यहां संपन्न करवाया। इजरायल के पर्यटक इस गांव में लगभग सारा वर्ष मौजूद रहते थे। धर्मकोट गृह पर्यटन उद्योग का एक उदाहरण है, जिसे हिमाचल सरकार प्रोन्नत करना चाहती है।

 धौलाकुआं

यह जिला सिरमौर में विशाल व विस्तृत फैले बागीचों के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें नींबू प्रजाति के पौधे, फल विधायन कारखाने, विभिन्न प्रकार के जूस, जैम अचार और डिब्बा बंद उत्पाद शामिल हैं। धौलाकुआं से थोड़ी दूरी पर कटासन देवी का मंदिर है, जहां राजा जगत सिंह ने एक बड़े युद्ध में गुलाम कादिर रोहिला की बढ़ती हुई सेना को हराया था। उस विजय के स्मरणार्थ कृतज्ञता प्रकट करने के लिए राजा ने देवी का मंदिर बनवाया।


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