नजर-ए-इनायत को तरसा चैहड़ अखाड़ा
कुश्ती प्रेमी-जनता मिलकर संजो रहे परंपरा, चंद सुविधाओं से मिलेंगे कई नामी पहलवान
घुमारवीं— इंटरनेशनल स्तर के रेस्लर की पौध तैयार करने वाला घुमारवीं का चैहड़ अखाड़ा सरकार की नजर-ए-इनायत को तरस रहा है। मेहरदीन, बुद्धू, चांदगी राम, जगदीश कालीरमण, जगदीश, जगदीश राव, संजय यादव, जॉनी चौधरी, चंद्रवीर व संदीप सहित कई नामी पहलवानों का जनक चैहड़ का अखाड़ा अनदेखी का शिकार हो रहा है। प्रदेश में लुप्त हो रही अखाड़े की परंपरा को कुश्ती प्रेमियों व लोगों के सहयोग से जीवंत रखा है। जिस पर चैहड़ दंगल कमेटी चार चांद लगा रही है। यदि सरकार की ओर से चैहड़ अखाड़े में सुविधाओं का प्रावधान हो जाए तो यहां से कई नामी पहलवान निकलेंगे। चैहड़ अखाड़े में न तो इंडोर स्टेडियम है और न ही पहलवानों को प्रैक्टिस करने के लिए मैट व जिम की सुविधा, जिस पर पहलवान निरंतर प्रैक्टिस कर सकें। जब यहां पर बारिश होती है तो पहलवानों की प्रैक्टिस प्रभावित होती है। क्षेत्र के सुनील कुमार, विपन कुमार व दंगल कमेटी के महासचिव कमल का कहना है कि यह अखाड़ा राजाआें के समय का है। हर साल यहां दंगल होता है, जिसे लाखों लोग देखने के लिए पहुंचते हैं। दूसरे राज्यों के पहलवान यहां आने के लिए ललायित रहते हैं। चैहड़ अखाड़े में दंगल स्थल पर अब तक 17 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। लोगों की मांग है कि सीर खड्ड किनारे बनने वाला इंडोर स्टेडियम चैहड़ में बनाया जाए। चैहड़ में अखाड़ा स्थल के साथ नाला बह रहा है। यदि सरकार इस नाले का चैनेलाइजेशन करके स्टेडियम का निर्माण कर दे, तो यहां कई सुविधाएं मिलेंगी।
महिला पहलवान दिखा चुकी हैं दम
उत्तर भारत के मशहूर चैहड़ दंगल में नामी पहलवानों के अलावा महिला पहलवान भी दमखम दिखा चुकी हैं। यहां दिव्य सेन सहित कई पहलवान जोर आजमाइश कर चुके हैं। यहां पर फ्लड लाइट में भी कुश्तियां होती हैं।
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