नाहन में स्थित है तारपीन और बिरोजा फैक्टरी

By: Feb 7th, 2018 12:05 am

नाहर का अर्थ शेर होता है और शायद इसने अपना नाम इस संत से लिया है। नाहन की संक्रियाओं का केंद्र चौगान,‘बिक्रम का बाग’ और ‘खादर का बाग’ हैं। नाहन मानसून के अंत में सावन द्वादशी मनाता है…

नाहन

यह सिरमौर जिला का मुख्यालय है, कंदराओं और हरे खेतों को निहारते हुए यह एक पृथक पर्वतपृष्ठ पर स्थित है। यह नगर राजधानी के रूप में राजा करण प्रकाश द्वारा 1621 ई. में स्थापित किया गया था। इसकी रचना की एक और कहानी यह है कि एक संत एक नाहर के साथ इस स्थान पर रहता था, जहां नाहन का महल खड़ा है।  नाहर का अर्थ शेर होता है और शायद इसने अपना नाम इस संत से लिया है। नाहन की संक्रियाओं का केंद्र चौगान,‘बिक्रम का बाग’ और ‘खादर का बाग’ हैं। नाहन मानसून के अंत में सावन द्वादशी मनाता है, जब स्थानीय देवताओं की 52 पालकियां एक जलूस में जगन्नाथ मंदिर को ले जाई जाती हैं। जहां पारंपरिक तौर पर उनको एक तालाब में तैराया जाता है तथा आधी रात को उन्हें अपनी पूर्वावस्था में लाया जाता है। राजाओं के शासनकाल के दिनों से ही नाहन के मध्य में रानीताल नाम का तालाब तथा एक मंदिर है। भारत के सबसे प्राचीन ढलाई करने के कारखानों में एक यहां नाहन में है। हिमाचल प्रदेश की बिरोजा व तारपीन की फैक्टरी भी यहां स्थित है।

मणिकर्ण

मणिकर्ण कुल्लू से 45 किलोमीटर और कसोल से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर अपने गर्म पानी के चश्मों के लिए प्रसिद्ध है। इसके गर्म जल में हजारों लोग पवित्र स्नान करते हैं। पानी इतना गर्म है कि इसमें दाल, चावल और सब्जियों को भी उबाला जा सकता है। एक पुरानी पौराणिक कथा के अनुसार मणिकर्ण का संबंध भगवान शिव और उसकी अर्द्धांगिनी पार्वती से है, जिसने स्नान करते हुए कान की बाली खो दी थी। जब उसने शिव को बताया तो भगवान ने कुंड के जल की ओर गुस्से से देखा, जिसने पार्वती नदी  के किनारे गर्म जल को जन्म दिया। वहां एक गुरुद्वारा है तथा शिव व रामचंद्र को समर्पित मंदिर हैं।

महाराजा संसार चंद संग्रहालय

कांगड़ा जिला के समीप महाराजा संसार चंद  संग्रहालय 20 नवंबर, 2012 ई. को लोगों के लिए खोला गया। संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर संपूर्ण कटोच वंशावली का चार्ट तस्वीरों के साथ प्रदर्शित किया गया है, जो शाही परिवार द्वारा रखी गई वस्तुओं जैसे स्फटिक और चांदी के बरतन, कपड़े, सिक्के, एक चांदी का बिस्तर, तलवारें, दूरबीन, कुछ लिखे हुए मूल ग्रंथ और लगभग वे सारी चीजें, जो शाही जीवन शैली को दिखाती हैं, प्रदर्शित की गई हैं। संग्रहालय के अंदर ही दीवारों को कलाकारों द्वारा चित्रित किया गया है, जिनको विशेष तौर पर राजस्थान से बुलाया गया था।


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