नौकरशाही से दुर्व्यवहार

By: Feb 23rd, 2018 12:05 am

कांतिलाल मांडोत, सूरत (ई-पेपर के मार्फत)

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जबसे  सत्ता संभाली है, तब से लेकर आज दिन तक सरकार विवादों में रही है। केजरीवाल तीन साल से ज्यादा समय से दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। इस बीच कई बार उन्हें अपने ही विधायकों या मंत्रियों के रवैये के कारण विरोध का शिकार होना पड़ा। ताजा मामले में मुख्य सचिव के साथ मुख्यमंत्री आवास पर मारपीट करना एक अशोभनीय कृत्य है। जब मुख्यमंत्री के घर पर ही नौकरशाह के साथ बदसलूकी की जाती है, तो आम जगह या असुरक्षित जगह पर नौकरशाह के साथ कैसा सलूक किया जा सकता है, उसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं। नौकरशाह के साथ मारपीट से उपजे वैमनस्य की चिंगारी पूरे भारत में फैल चुकी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पांच दिन का अल्टीमेटम दिया गया है।  देश के नौकरशाह अब एक छत के नीचे आ गए हैं। नौकरशाही ने मामले में एकजुटता की मिसाल पेश की है। केजरीवाल माफी नहीं मांग लेते, तब तक नौकरशाही ने किसी भी मीटिंग में भाग नहीं लेने की ठान ली है। गौरतलब है कि अंशु प्रकाश के साथ हुई मारपीट को लेकर देश भर में निंदा की गई है। नौकरशाह से दुर्व्यवहार की किसी भी व्यक्ति को इजाजत नहीं है, फिर चाहे वह किसी राज्य के मुख्यमंत्री ही क्यों न हों। नौकरशाह किसी के व्यक्तिगत काम के लिए नियुक्त नहीं किया जाता। कानून हाथ में लेने का किसी को अधिकार नहीं है। केजरीवाल के साथियों का यह बर्ताव लोकतंत्र के लिहाज से भी शुभ संकेत नहीं माना जा सकता। केजरीवाल सरकार अब जिस तरह से अपने ही अधिकारियों से मारपीट सरीखे निंदनीय व्यवहार पर उतर आई है, तो यह उसकी विफलता की भी निशानी है।

 


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