पत्रिका का तेलंगाना के पर्यटन को प्रणाम

By: Feb 11th, 2018 12:05 am

प्रणाम पर्यटन पत्रिका (हिंदी त्रैमासिक) का अक्तूबर-दिसंबर-2017 का अंक पाठकों के समक्ष आ चुका है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ से प्रकाशित यह पत्रिका गत दो वर्षों से लगातार छप रही है। इस अंक में नवगठित राज्य तेलंगाना में पर्यटन की संभावनाओं का आकलन करते हुए तेलंगाना पर्यटन विशेषांक के रूप में निरूपित किया गया है। संपादक प्रदीप श्रीवास्तव के नेतृत्व में पत्रिका का यह विशेषांक नवगठित राज्य में पर्यटन की संभावनाएं तराशने के लिए कई सृजनात्मक सुझाव लेकर आया है।

तेलंगाना में पर्यटन की प्रबल संभावनाएं शीर्षक से छपे अग्र लेख में प्रदीप श्रीवास्तव ने अनेक सुझाव दिए हैं। संपादक को इस राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं दिखती हैं, जरूरत है तो इस बात की कि इस राज्य के पर्यटक स्थलों को लेकर व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। वास्तव में इस राज्य में कई ऐसे महत्त्वपूर्ण स्थल हैं जिनकी ओर पर्यटकों को आकर्षित करने की जरूरत है। उनका मानना है कि पर्यटन के क्षेत्र में इस राज्य की घोर उपेक्षा हुई है, इसीलिए यहां ढांचागत विकास नहीं हो पाया है।

विशेषांक में पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कई ऐसे स्थलों को जगह दी गई है, जो पर्यटकों के लिए सचमुच ही आकर्षण के केंद्र हैं। तेलंगाना को एक शाही ठिकाना बताते हुए एक लेख में यहां की मस्जिदों, मंदिरों, मीनारों व गुंबदों का उल्लेख करते हुए यहां के शिल्प को सामने लाया गया है। इसी लेख में हैदराबादी बिरयानी की विशेषताओं को भी उकेरा गया है, जो आम लोगों के साथ-साथ पर्यटकों का लजीज व्यंजन रहा है। हैदराबाद की ऐतिहासिक विरासत क्या है, इस विषय को भी समग्रता के साथ उठाया गया है। यह वह शहर है जिसकी गंगा-जमुनी तहजीब है। यह शहर सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है। यह शहर आधुनिकता व परंपरा में तालमेल के लिए भी जाना जाता है।

यहां आधुनिक परिधानों में लिपटी महिलाओं के साथ-साथ पारंपरिक बुर्कों में ढकी महिलाओं को कहीं भी देखा जा सकता है। वास्तव में इस शहर की खासियत यह है कि कुतुबशाही शासनकाल में हैदराबाद की सभ्यता, साहित्य एवं संस्कृति का काफी विकास हुआ। डा. गुर्रमकोंडा नीरजा के लेख-तेलंगाना की सांस्कृतिक पहचान ‘बतुकम्मा’ – में बताया गया है कि यह राज्य अपनी एक विशिष्ट संस्कृति रखता है। इसकी सांस्कृतिक पहचान के लिए जिन प्रतीकों को जोर-शोर से नए सिरे से दुनिया के सामने रखा गया, उनमें बतुकम्मा पर्व का स्थान सर्वोपरि है। इसी कार्य योजना के तहत बतुकम्मा का त्योहार वर्ष 2014 से विराट स्तर पर राजकीय पर्व के रूप में भव्यता के साथ मनाया जाने लगा है। वर्ष 2016 में यह त्योहार गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है।

यह त्योहार सद्भावना का प्रतीक है। विशेषांक में निजामाबाद शहर की सांस्कृतिक विरासत को भी प्रमुखता के साथ उकेरा गया है। प्राचीन काल में इंद्रपुरी और इंदूर के नाम से विख्यात तेलंगाना का निजामाबाद अपनी समृद्ध संस्कृति के साथ-साथ ऐतिहासिक स्मारकों व प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस लेख में इस शहर का इतिहास देते हुए विख्यात कंठेश्वर मंदिर को भी उकेरा गया है। नील कंठेश्वर मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्योत्सना पटेल के लेख में दो हजार वर्ष पुराने कुलपाक जैन मंदिर का इतिहास व विशेषताएं रोचक ढंग से पिरोई गई हैं। विशेषांक में आलमगीर मस्जिद की कहानी इसे रोचक बनाती है। नागपुर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर सात पर निजामाबाद जिले के कामारेड्डी तहसील का एक गांव पड़ता है, जिसे बिस्वापुर के नाम से जाना जाता है। जब आप निजामाबाद से हैदराबाद की ओर चलेंगे तो रास्ते में कामारेड्डी से लगभग दस किलोमीटर आगे बाएं एक मस्जिद दिखाई देगी, जिसकी एक मीनार जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। इस मस्जिद को आलमगीर मस्जिद के नाम से जाना जाता है।

इसमें कभी औरंगजेब ने भी नमाज अता की थी। पर्यटकों के लिए यह मस्जिद आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है। इसी तरह मुधोल विधानसभा क्षेत्र के गांव बासर में मां सरस्वती का मंदिर लेह के बाद दूसरा ऐसा मंदिर है। कुसुम श्रीवास्तव ने अपने लेख के माध्यम से इस मंदिर की जो तस्वीर उकेरी है, वह निश्चित ही पर्यटकों को लुभाएगी। इसी तरह आदिलाबाद जिले में कुंटाला जलप्रपात का उल्लेख विशेषांक को रोचक बनाता है। यह जलप्रपात भी सैलानियों के आकर्षण का कारक है। कहा जाता है कि इस जलप्रपात पर कभी पौराणिक पात्र शकुंतला व दुष्यंत भी टहलते थे। हैदराबाद में चारमीनार का अस्तित्व इस शहर की सुंदरता को चार चांद लगाता है, साथ ही विशेषांक को भी चारमीनार सुंदर बना रही है। विशेषांक में कई रोचक कहानियां व कविताएं इसकी विविधता को नया आयाम दे रही हैं।

पुस्तक समीक्षा

* पत्रिका का नाम : प्रणाम पर्यटन

* संपादक : प्रदीप श्रीवास्तव

* कुल पृष्ठ : 48

* आमंत्रण मूल्य : 50 रुपए


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