पुस्तक समीक्षा

By: Feb 25th, 2018 12:05 am

नेरटी (कांगड़ा) से संबद्ध लेखक रमेशचंद्र मस्ताना ‘पांगी घाटी की पगडंडियां एवं परछाइयां’ नामक पुस्तक के साथ फिर पाठकों के समक्ष हैं। पांगी घाटी के जनजीवन, संस्कृति, धार्मिक आस्थाएं, उत्सव, खानपान, समस्याएं, संपदाएं, राजनीतिक व प्रशासनिक पृष्ठभूमि, अनूठी प्रजा प्रणाली व पर्यटन संभावनाओं को उकेरती यह पुस्तक 191 पृष्ठों में बहुत कुछ कहती है। लोक जीवन में रुचि रखने वाले लोगों तथा प्रतिस्पर्द्धात्मक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं के लिए यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसा विश्वास है। दुरूह भौगोलिक स्थिति वाले इस क्षेत्र तक भौतिक पहुंच सचमुच ही दुर्गम है, ऐसी स्थिति में क्षेत्र से बाहर के लोगों की यहां तक प्रज्ञात्मक पहुंच बनाना लेखक व किताब का लक्ष्य लगता है। वास्तव में यह भी एक सच्चाई है कि इस क्षेत्र के लोक जीवन के बारे में लोग कम ही जानते हैं, ऐसी स्थिति में वहां की जन संस्कृति को राष्ट्र के कोने-कोने तक पहुंचाने को लेखक ने अपना फर्ज समझा है। साधारण हिंदी में लिखी गई यह किताब विस्तार से पांगी के लोक जीवन को उकेरती है। किताब पढ़ते हुए रोमांच का एहसास होता है। पांगी के लोक जीवन से जुड़ी विचित्र परंपराएं व गाथाएं पढ़कर पाठक अवश्य ही अभिभूत होगा। पांगी घाटी की पगडंडियां एवं परछाइयां-रमेशचंद्र मस्ताना, प्रिय प्रकाशन, मस्त कुटीर, नेरटी (रैत), 750 रुपए


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