हिमाचली पुरुषार्थ : जिंदगी को अपने खून की कलम से लिखते रितिक

By: Feb 14th, 2018 12:07 am

चंडीगढ़ में होम्योपैथी मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल पंजाबी यूनिवर्सिटी से बीएचएमएस की पढ़़ाई कर रहे रितिक ने ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत में बताया कि हम तीन दोस्तों द्वारा फ्रेंड्स चैरिटी के नाम से इस अभियान की शुरुआत चंडीगढ़ से की गई थी। क्योंकि रक्तदान एक ऐसा दान है, जिसकी आवश्यकता कभी भी किसी को भी पड़ सकती है। ऐसे में उन्होंने इस मुहिम को देशभर में शुरू करने का निर्णय लिया …

किसी भी अनहोनी घटना के घटित होने के बाद जरूरतमंद को रक्त उपलब्ध करवा रहा इंडिया ब्लड ग्रुप अब विदेशों में रहने वाले भारतीयों व अन्य लोगों के लिए भी रक्त मुहैया करवाएगा। रक्तदान के इतिहास में पहली दफा इंडिया ब्लड ग्रुप ने यह ऐतिहासिक शुरुआत की है। बिलासपुर निवासी रितिक शर्मा व उनके सहयोगी हरियाणा के यमुनानगर निवासी हरविंदर सिंह ने देश भर में रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रही अपनी सहयोगी संस्थाओं के माध्यम से अब कनाडा व दुबई में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों को साथ जोड़कर अपनी इस मुहिम को वहां तक पहुंचा दिया है। इंडिया ब्लड ग्रुप के नाम से कनाडा व दुबई में बनाई गई टीमों ने वहां काम करना शुरू भी कर दिया है। घुमारवीं विस क्षेत्र के तहत पड़ने वाली मरहाणा पंचायत के मरहाणा गांव में प्रदेश के कॉफी किंग के नाम से मशहूर हो चुके डा. विक्रम शर्मा व इंदू शर्मा के घर जन्में रितिक व उनके यमुनानगर निवासी दोस्त हरविंदर सिंह व उनके अन्य सहयोगियों द्वारा इंडिया ब्लड ग्रुप के नाम से चलाई जा रही इस संस्था में देश भर से लाखों युवा सदस्य बन चुके हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह ग्रुप देश भर में सालाना 4 लाख 38 हजार यूनिट रक्त सहायता पड़ने पर उपलब्ध करवाता है। यानी देश भर में हर रोज करीब 1200 यूनिट रक्त मरीजों को उपलब्ध करवाया जाता है। वहीं हिमाचल में इस ग्रुप द्वारा महीने में करीब 120 यूनिट, चंडीगढ़ में लगभग 900 यूनिट और हरियाणा व पंजाब में हर महीने 600 से 700 यूनिट रक्त आवश्यकता पड़ने पर मुहैया करवाया जाता है। इंडिया ब्लड ग्रुप के साथ वर्तमान समय में देश भर में करीब 3 लाख स्वयंसेवी किसी भी आपातकालीन परिस्थितियों में मरीजों को रक्त देने के लिए हर समय तैयार रहते हैं। चंडीगढ़ में होम्योपैथी मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल पंजाबी यूनिवर्सिटी से बीएचएमएस की पढ़़ाई कर रहे रितिक ने ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत में बताया कि हम तीन दोस्तों द्वारा फ्रेंड्स चैरिटी के नाम से इस अभियान की शुरुआत चंडीगढ़ से की गई थी। क्योंकि रक्तदान एक ऐसा दान है, जिसकी आवश्यकता कभी भी किसी को भी पड़ सकती है। ऐसे में उन्होंने इस मुहिम को देशभर में शुरू करने का निर्णय लिया। अन्य राज्यों में रहने वाले दोस्तों के साथ उन्होंने इसकी एक चेन बनाने का फैसला लिया और इंडिया ब्लड ग्रुप के नाम से संस्था का निर्माण किया। आज देश के लगभग हर राज्य में इंडिया ब्लड ग्रुप रक्तदान के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। इस की शाखाएं सभी राज्यों के जिलों में भी खोली गई हैं ताकि जरूरत पड़ने पर संबंधित व्यक्ति से सीधा संपर्क किया जा सके। यही नहीं, संस्था द्वारा रक्तदान के साथ ही गरीब परिवारों व गरीब लड़कियों की शादियों के लिए भी सहायता की जाती है।

कंबल व दवाइयां भी मुहैया करवाता है ग्रुप

इंडिया ब्लड व फ्रेंड्स चैरिटी गरीब कन्याओं की शादी में भी अपना योगदान देती है। पिछले तीन सालों की अवधि में अभी तक करीब 200 गरीब कन्याओं की शादी पर राशन व सिलाई मशीन के साथ ही अन्य आवश्यक सामग्री मुहैया करवाई जाती है। यही नहीं, अस्पतालों के बाहर सोने को मजबूर लोगों को कंबल भी बांटे जाते हैं।

पीजीआई में संस्था को अलग डेस्क खोलने की मांग

रितिक ने बताया कि संस्था द्वारा जल्द ही पीजीआई चंडीगढ़ में एक अलग डेस्क मुहैया करवाने की मांग भी उठाई जाएगी। इसमें यहां आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों के लिए उनकी आवश्यकता के हिसाब से कंबल, दवाइयां, रक्त व अन्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी।

 – कुलभूषण चब्बा, बिलासपुर

जब रू-ब-रू हुए…

रक्तदानियों की कद्र करे हिमाचली ब्लड बैंक…

आपके लिए खून का रिश्ता आखिर क्या है?

मेरे लिए खून का रिश्ता केवल परिवार तक ही सीमित नहीं है, परंतु खून का रिश्ता हर उस व्यक्ति से है जिसकी मुझे सेवा करने का मौका मिला है और जिनका मिलेगा। इसके साथ- साथ मेरा खून का रिश्ता हर उस व्यक्ति से भी है, जो इस सेवा कार्य में लगा हुआ है।

कहानी जब रक्त बूंदें लिखती हैं, तो समाज को सींचना कितना आसान हो जाता है?

रक्त बूंदों से कहानी लिखना आसान नहीं था कुछ समय पहले तक, परंतु अब आसान तो नहीं पर कहीं न कहीं समाज को सींचने में अब हम एक भूमिका निभा रहे हैं जिसमें मुख्य पात्र कहीं न कहीं रक्तवीरों की रक्त बूंदें ही हैं ।

इंडिया ब्लड ग्रुप संस्था खड़ी करने के पीछे कोई घटना है या, यह आइडिया कहां से?

इंडिया ब्लड ग्रुप के पीछे कोई घटना नहीं, परंतु एक प्रेरणा है जो मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मिली जो इस कार्य को करने के लिए सदैव साथ रही।  इसके साथ ही एक समाचार पत्र में एक खबर  जिसका शीर्षक था रक्त की वजह से पांच नवजात शिशुओं की मौत। इन सब बातों के बारे में जब हम दोस्तों ने बात की तो इंडिया ब्लड ग्रुप उसका परिणाम था।

आपका कार्य करने तथा जनता को रक्त दान के लिए प्रोत्साहित करने का तरीका है क्या?

सर्वप्रथम मैं सोशल मीडिया का धन्यवाद करना चाहता हूं, जिसकी वजह से हम सब संगठित होकर इस कार्य को करने में लगे हुए हैं। हमारा काम करने का तरीका एवं माध्यम सोशल मीडिया है जिसके द्वारा हम पूरे देश के रक्तवीरों के साथ जुड़े हुए हैं। और प्रोत्साहन के लिए हम पूरे देश भर में कार्यक्रम करते हैं, जिनमें हम रक्तदानियों का सम्मान करते हैं। इसके साथ ही हम सरकार से भी बात करने की सोच बना रहे हैं, ताकि सरकार द्वारा भी रक्तदानियों को सम्मानित कर के प्रोत्साहन दिया जाए।

करीब साढ़े चार लाख यूनिट रक्त का संचालन किस तरह संभव है?

एकता में बल है। मेरे रक्तवीर साथी पूरे देश में इस सेवा को आगे बढ़ा रहे हैं। 4-5 लाख यूनिट खून का रक्त संचालन सभी रक्त जरूरतों को पूरा करने जो देश के विभिन्न हिस्सों से आती हैं, के संचालन के लिए सोशल मीडिया एवं रक्तवीरों के साथ से ही संभव  हुआ है और होता है।

इसके पीछे का अर्थ तंत्र और वित्तीय जरूरतों का व्यावसायिक अंदाज?

इस सवाल का जवाब एक ही है और वो है परिवार एवं मित्रों का साथ। साथ ही उन लोगों का धन्यवाद जो इस नेक काम के लिए हमारी सहायता करते हैं।

फ्रेंड्स चैरिटी की पहली शुरुआत से निकल कर विश्व समुदाय तक पहुंचना कितनी टेढ़ी खीर रहा?

फ्रेंड्स चैरिटी क्लब का संस्थापन एक सोच थी, जो शुरुआत में टेढ़ी खीर थी। परंतु जब अपने मित्रों तक यह बात पहुंचाई गई तो यही टेढ़ी खीर एक सरल राह बन गई और सबकी मदद के लिए जरूरतमंदों की दोस्त बन गई।

रास्ते कहां आसानी से बने और कहां सरकारी ढांचे के तर्क निराशा करते रहे?

साथ के रास्ते आसानी से बनते गए। मित्रों का विश्वास परिवार का साथ एक आसान राह थी। सरकारी ढांचों से आशा रखी ही नहीं जा सकती। रक्तदानियों की जान तक से खिलवाड़ सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करता है।

अध्ययन के बीच मानवता के रक्त का हिसाब रखना और फिर लक्ष्यों को सूचीबद्ध करना, आपके लिए कितना चुनौती भरा रहा?

अध्ययन के बीच इन सब कार्यों को करना ठीक वैसे ही था जैसे भरी बरसात में बिना भीगे निकलना। शुरुआती दौर में मुश्किलें बहुत सी आई परंतु सब मुश्किलों को सबके साथ के साथ पार किया और आज जनसेवा की इस मुहिम को हम पूरे देश में चला रहे हैं। यह सबका साथ और बड़ों का आशीर्वाद ही है।

खुद आप सभी दोस्त अब तक कितना रक्तदान कर चुके हैं। आपके रक्तदानियों का कोई रिकार्ड?

मैं स्वयं 34 बार रक्तदान, जिसमें प्लेटेलट्स डोनेशन भी शामिल है और मेरे सभी दोस्त तकरीबन 10 बार से ज्यादा ही रक्त दान कर चुके हैं। सभी रक्तदानियों की सूची उनके जिला के को-आर्डिनेटर के पास होती है।

भविष्य की योजना?

भविष्य में सभी मुख्य अस्पतालों में अपने डेस्क की स्थापना करना है। जहां हम बिना परेशानी के जरूरतमंदों को उनकी जरूरत अनुसार सामान, दवाइयां एवं रक्त उपलब्ध करवा सकें।

जरूरतमंद आपसे कैसे संपर्क कर सकते हैं। घटनाएं जहां जीवन-मौत के बीच रक्तदानी भगवान बन गए?

जरूरतमंदों के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध हूं। किसी भी समय 9877241630 पर फोन करके संपर्क कर सकते हैं। एक घटना नहीं है जिसे विस्तार से बता सकूं। ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं जिसमं हमारे रक्त दानी भगवान बन गए हैं।  बहुत से परिवार जिनकी सहायता की गई है, वो आज बेटे की तरह प्यार करते हैं, जो मेरी एवं इंडिया ब्लड ग्रुप की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

हिमाचल में रक्त दान के वर्तमान ढर्रे को बदलना हो या इसकी क्षमता में ब्लड बैंकों की दशा सुधारनी हो?

हिमाचल में अभी- अभी नई सरकार सत्ता में आई है जिस से हम रक्तदानियों को बहुत सी उम्मीद है। जिसमें मुख्य रूप से ब्लड बैंकों में बैठे स्टाफ  को रक्त दानियों की कद्र करना सर्वप्रथम है एवं उसके बाद ब्लड बैंकों की दशा सुधारना भी मुख्य है।


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