अनंत राम ने नशे के खिलाफ छेड़ा अभियान

By: Mar 28th, 2018 12:05 am

उन्होंने नशाबंदी के लिए एक अविराम संघर्ष छेड़ा, जिस पर उन्हें बंदी बना लिया गया, परंतु उन्होंने महात्मा गांधी व उनके अन्य देशभक्त सहयोगी बाबा कांशी राम, भीम सैन सच्चर, महाशय तीर्थ राम खुशी और पराशर वरश्याम सिंह, गोपी भगवंत आदि के आशीर्वाद से अपने संघर्ष को जारी रखा…

अनंत राम

अनंत राम 10 अप्रैल, 1907 ई. को दौलतपुर चौक जिला ऊना में पैदा हुए। उनके पिता किरपा राम थे। वह एक महान देशभक्त व स्वतंत्रता सैनानी थे।उन्होंने नशाबंदी के लिए एक अविराम संघर्ष छेड़ा, जिस पर उन्हें बंदी बना लिया गया, परंतु उन्होंने महात्मा गांधी व उनके अन्य देशभक्त सहयोगी बाबा कांशी राम, भीम सैन सच्चर, महाशय तीर्थ राम खुशी और पराशर वरश्याम सिंह, गोपी भगवंत आदि के आशीर्वाद से अपने संघर्ष को जारी रखा। 1975 ई. में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा उनको ताम्र पत्र से सम्मानित किया गया। उन्होंने ‘काका शिक्षा न्यास’ की स्थापना की। 11 जनवरी, 2010 ई. को लंबी बीमार के बाद 113 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ।

अनूप सिंह

अनूप सिंह स्वर्गीय टोडर सिंह के बेटे थे। इनका जन्म 1917 ई. में मंडी जिला की जोगिंद्रनगर तहसील के अंतर्गत गांव सियूं डाकघर लडभड़ोल मंे हुआ। वह  कृषक और सामाजिक कार्यकर्ता थे।

जब लाहौर में थे तो स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और बाद में मंडी में यह कार्य जारी रखा। वह चौंतड़ा और जोगिंद्रनगर मंडलों के अध्यक्ष रहे। 1961 ई. में चौंतड़ा से, श्री रामनाथ की मृत्यु पर क्षेत्रीय परिषद के लिए उपचुनावों में जीते। 1962 ई. में पुनः निर्वाचित हुए। 24 मार्च, 1972 ई. में इनकी मृत्यु हो गई।

आत्मा राम

आत्मा राम का जन्म 19 जून , 1934 ई. को कांगड़ा जिला के गांव पट्टी में हुआ। यह मैट्रिक पास थे।  इनके दो बेटे और एक बेटी थी। वह भूतपूर्व सैनिक और कृषक थे। जून 1951 ई. में भारतीय सेना में प्रवेश, 1962 में चीनी आक्रमण और 1965 व 1971 के भारत-पाक युद्ध में भाग लिया। ब्रिगेड आफ गार्ड से ऑनरेरी कैप्टन रिटायर हुए। सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में शामिल, 1982-1990 तक निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर मुख्य सचिव रहे। 1996-97 में अनुसूचित जाति प्रकोष्ठ के राज्य स्तरीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे। 1997-98 में बीजेपी के कोषाध्यक्ष रहे। 1990 ई. में विधानसभा के लिए चुने गए। आत्मा राम 1998 व 2003 में पुनः निर्वाचित हुए। वह वन कमेटी के अध्यक्ष तथा हिमाचल प्रदेश वन निगम लिमिटेड के उपाध्यक्ष भी रहे।

विचित्र सिंह

कांगड़ा जिला के उपमंडल में खेर ग्राम पंचायत के गांव बाड़ी बटरान में सन् 1915 को इनका जन्म हुआ। विचित्र सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। देश भक्ति का जज्बा उनमें कूट-कूट कर भरा हुआ था। उनका निधन 15 फरवरी, 2011 में हुआ। उन्होंने आजाद हिंद फौज में शामिल होकर कई बार अंगे्रजी सेना के विरुद्ध  लड़ाई भी लड़ी।


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