अवैध कब्जों-खनन पर हाई कोर्ट सख्त
ब्यास नदी पर हफ्ते में दें रिपोर्ट
शिमला— कुल्लू में ब्यास नदी में अवैध खनन रोकने के लिए दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव (रेवन्यू) को आदेश दिए हैं कि वह एक सप्ताह के भीतर वन विभाग के अधिकारियों को संबंधित रिकार्ड प्रदान करें। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चंद्र भूषण बरोवालिया की खंडपीठ ने अपने आदेशों में कहा कि एक सप्ताह के भीतर इस भूमि की निशानदेही की जाए। मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि ब्यास नदी से अवैध खनन किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई है कि नदी को जोड़ने वाली सड़क को दीवार लगाकर बंद करवाने के आदेश दिए जाएं। प्रधान सचिव ने अपने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि इस सड़क को बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह सड़क श्मशानघाट से जुड़ती है और दूसरी यह सड़क वन भूमि पर बनाई गई है। मामले की आगामी सुनवाई 15 मार्च को निर्धारित की गई है।
दो माह में पूरी करें कार्रवाई
शिमला— कोटखाई में अवैध कब्जे से संबंधित एक और मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह दो महीने के भीतर अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ कार्रवाई पूरी करे। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने अवैध कब्जाधारियों के खिलाफ जांच पूरी करने और उनके खिलाफ चालान पेश करने के लिए नौ माह का समय दिया है। जनहित में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोटखाई में वन भूमि से पेड़ों का अवैध कटान किया जा रहा है। अदालत को बताया गया कि रेंज ऑफिसर कोटखाई की रिपोर्ट के अनुसार अब इस स्थान पर कोई भी नया पेड़ नहीं काटा गया है।
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