नक्सलवाद की आग

By: Mar 19th, 2018 12:05 am

-राजेश कुमार चौहान, जालंधर

सुकमा के पास एक बार फिर से नक्सलियों ने सुरक्षा कर्मियों पर हमला किया। इसमें कुछ सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए। भारत के कुछ राज्यों में नक्सलवाद की समस्या आतंकवाद से भी खतरनाक समस्या बन चुकी है। केंद्र और नक्सल प्रभावित राज्यों में सरकारें लगभग हर राजनीतिक पार्टी की सत्ता में आती रही हैं, लेकिन नक्सलवाद की आग पर कोई भी सरकार काबू नहीं पा सकी है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को सतर्क होना चाहिए। नक्सलवादियों तक हथियार कैसे पहुंचते हैं? उन्हें हमले करने की ट्रेनिंग कौन देता है? नक्सलवाद का कारण भी कहीं भ्रष्टाचार तो नहीं? इन सवालों का हल सरकार को ढूंढना चाहिए। यह न हो कि नक्सलवाद के पीछे देश विरोधी ताकतों का भी हाथ हो? नक्सलवाद के नासूर को खत्म करने के लिए मोदी सरकार को सबका साथ, सबका विकास के नारे पर अमल करते हुए नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों की तरफ गंभीरता से ध्यान देते हुए वहां विकास के कार्यों पर जोर देना चाहिए। वहां के पीडि़त और शोषित वर्ग की तरफ सबसे पहले ध्यान देना चाहिए। नक्सलवाद का मुख्य कारण भ्रष्टाचार और कुछ राजनेताओं की घटिया राजनीति भी है। जब भी कभी नक्सली हमला करते हैं, तब केंद्र और राज्य सरकार कुंभकर्णी नींद से जागकर इस पर खोखले वादों और मुआवजे का मरहम लगाकर अगले हमले तक लंबी नींद तानकर सो जाते हैं, जिससे साफ जाहिर होता है कि सरकारें नक्सलवाद की समस्या को लेकर खास गंभीर नहीं हैं। जब तक देश में से भ्रष्टाचार समाप्त नहीं होगा और राजनेता इस समस्या पर गंदी राजनीति करने से बाज नहीं आएंगे, तब तक देश में से नक्सलवाद की आग बुझना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन  है।

 


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