भीष्म को मृत्यु शैया पर देख क्यों हंसने लगी थी द्रौपदी

By: Mar 31st, 2018 12:05 am

महाभारत में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुईं जो दिलचस्प से ज्यादा रहस्य से परिपूर्ण हैं। जैसे शकुनि का प्रतिशोध, भीष्म को मिला इच्छा मृत्यु का वरदान, शांतनु का गंगा से विवाह, अंबा का श्राप और शिखंडी का जीवन…

महाभारत की कहानी काफी रोचक है, इसकी जितनी परतें खोलते जाओ, उतना ही ज्यादा यह और रहस्यमय दिखने लगती है। कौरव और पांडवों के बीच रंजिश के परिणामस्वरूप महाभारत का भीषण युद्ध हुआ, जिसमें कौरव सेना को परास्त कर पांडवों ने विजय का परचम लहराया।

दिलचस्प और रोचक घटनाएं

महाभारत की कहानी में कई दिलचस्प और रोचक घटनाएं मौजूद हैं। जैसे द्रौपदी का पांच भाइयों के साथ विवाह, इस विवाह की शर्त और नियम, इसके अलावा अर्जुन और कृष्ण का संबंध, आजीवन विवाह न करने की प्रतिज्ञा लेने के बाद देवव्रत को भीष्म की उपाधि मिलना, पांचाली का चीरहरण आदि।

रहस्य से परिपूर्ण

इन सभी के अलावा महाभारत में कुछ ऐसी घटनाएं घटित हुईं जो दिलचस्प से ज्यादा रहस्य से परिपूर्ण हैं। जैसे शकुनि का प्रतिशोध, भीष्म को मिला इच्छा मृत्यु का वरदान, शांतनु का गंगा से विवाह, अंबा का श्राप और शिखंडी का जीवन आदि। जिन लोगों ने महाभारत की कहानी को सुना या पढ़ा है, वे बहुत हद तक इन रहस्यों से रूबरू होंगे, लेकिन आज जो कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं उससे ज्यादा लोग अवगत नहीं होंगे।

भीष्म की मौत

महाभारत का युद्ध अपने अंतिम चरण पर था। अंबा की वह प्रतिज्ञा पूरी हो गई थी जिसके अनुसार वह भीष्म की मौत का कारण बनना चाहती थी। शिखंडी के रूप में अपने पुनर्जन्म में उसने यह प्रतिज्ञा पूरी कर ली थी। अर्जुन के बाणों ने भीष्म पितामाह के शरीर को छलनी कर दिया था, लेकिन भीष्म पितामह को प्राप्त इच्छा मृत्यु के वरदान की वजह से स्वयं यमराज भी आकर उनके प्राण नहीं छीन सकते थे, वे अभी भी जीवित थे। वे बाणों की शैया पर लेटे हुए महाभारत के युद्ध के परिणाम का इंतजार कर रहे थे।

युद्ध के नियम

युद्ध के नियम के अनुसार सूर्यास्त के पश्चात युद्ध रोक दिया जाता था और ऐसे समय में सभी लोग भीष्म की शैया के पास एकत्र होते थे।

प्रवचन

भीष्म कुछ दिन और महाभारत का युद्ध देखना चाहते थे, इसलिए वे अभी भी जीवित थे। सूर्यास्त होते ही सभी परिजन और शुभ चिंतक भीष्म के पास आते और भीष्म उन्हें प्रवचन देते थे।

गंभीर माहौल

ऐसे ही एक शाम भीष्म प्रवचन दे रहे थे और सभी उन्हें बड़े ध्यान से सुन रहे थे। लेकिन सन्नाटे और गंभीर माहौल के बीच द्रौपदी अचानक से हंसने लगीं।

हंसने का कारण

द्रौपदी को हंसता देख भीष्म अत्यंत क्रोधित हो उठे, साथ ही पास खड़े अन्य लोग भी द्रौपदी को क्रोध और अचंभे से देख रहे थे कि अचानक द्रौपदी के जोर-जोर से हंसने का क्या कारण है।

पांचाल नरेश की पुत्री

भीष्म ने क्रोध में आकर द्रौपदी से कहा, ‘तुम पांचाल नरेश की पुत्री और हस्तिनापुर की वधु हो, तुम सम्माननीय परिवार से संबंध रखती हो, इस तरह हंसना तुम्हें शोभा नहीं देता’। भीष्म के क्रोध से भरे वचनों को सुनकर द्रौपदी ने कहा, ‘आपने मेरे हंसने का कारण नहीं पूछा’? इस पर भीष्म ने कारण पूछा। भीष्म के इस प्रश्न का जो उत्तर द्रौपदी ने दिया, वह काफी संवेदनशील और हिलाकर रख देने वाला था।

वो समय

द्रौपदी ने भीष्म को वो समय याद दिलाया जब भरे दरबार में कौरवों द्वारा उसका चीरहरण किया गया। वह मदद के लिए चिल्लाती रही, उस दरबार में परिवार के सभी पुरुष सदस्य मौजूद थे, धृतराष्ट्र और भीष्म पितामह दोनों उस घटना के साक्षी थे, लेकिन किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया।

व्यंग्यात्मक हंसी

द्रौपदी का वो क्रोध, व्यंग्यात्मक हंसी का रूप लेकर बाहर आ गया जब मृत्यु शैया पर लेटे हुए भी भीष्म प्रवचन दे रहे थे।

चीर हरण

उन्होंने भीष्म से कहा, ‘जब मेरा चीरहरण हो रहा था, तब तो आपके मुख से एक शब्द भी नहीं निकला था, आज आप दर्द में रहते हुए भी प्रवचन दे रहे हैं’।

गलती का एहसास

भीष्म को अपनी गलती का एहसास हुआ, उन्होंने द्रौपदी से क्षमा मांगते हुए चुप्पी न तोड़ने का कारण भी बताया।


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