मतदाता ही सर्वोपरि

By: Mar 17th, 2018 12:05 am

राजेश कुमार चौहान, जालंधर

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। आज बेशक कुछ स्वार्थी राजनेताओं के कारण हमारे देश की राजनीति दागदार हुई है और इसकी साख गिरी है। लेकिन कई बार कुछ चुनाव नतीजे ऐसे सामने आ जाते हैं जो यह सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि भारत का मतदाता राजनीतिक तौर पर जागरूक हो चुका है। बीते साल या इस साल कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में जहां एक तरफ  भाजपा ने काफी शानदार जीत हासिल की, वहीं गोरखपुर सदर संसदीय सीट के उपचुनाव में भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा। लगभग 29 साल बाद सपा ने भाजपा को झटका दिया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भाजपा की लाज नहीं बचा पाए। यह सीट योगी आदित्यनाथ के सांसद पद छोड़ने के बाद खाली हुई थी। उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी थी। मुख्यमंत्री योगी ने जिस बूथ पर वोट डाला था, वहां से भी भाजपा का हारना कोई शुभ संकेत भाजपा के लिए नहीं है। लोकतंत्र में किसी भी पार्टी को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए, क्योंकि लोकतंत्र में मतदाता सर्वोपरि होता है और जागरूक भी हो चुका है। आम चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों खासतौर पर देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों, की नजर यूपी पर ज्यादा होती है, क्योंकि यूपी में ही सबसे ज्यादा लोकसभा की सीटें हैं। 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा को यूपी के उपचुनाव में हार मिलने पर इसको इस पर मंथन जरूर करना चाहिए। कहीं भाजपा अतिविश्वास में आकर चुनाव लड़ने वाले अपने उम्मीदवारों को लेकर कोई गलत फैसला तो नहीं ले रही। भाजपा को इसका भी मंथन जरूर करना चाहिए कि कहीं मोदी लहर कमजोर तो नहीं पड़ रही, और यह भी याद रखना होगा कि लोकतंत्र में मतदाता ही सर्वोपरि होता है।

 


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