सरकारी स्कूलों की छलकी गागर, निजी का सूखा रहा सागर

By: Mar 10th, 2018 12:45 am

हमीरपुर— प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए बजट में केवल सरकारी स्कूलों का ही विशेष ध्यान रखा गया है, जबकि निजी क्षेत्र के स्कूलों को नजरअंदाज किया गया है। सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में सात हजार करोड़ रुपए का प्रावधान होना बहुत बड़ी बात है। निजी क्षेत्र के स्कूलों को फूटी-कौड़ी तक नहीं मिलना, उनका हौसला पस्त करने जैसा है। निजी स्कूल भी छात्रों का भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं। इसका उदाहरण नतीजे रहे हैं। बावजूद इसके सरकार प्राइवेट स्कूलों की हर बार अनदेखी कर रही है। शुक्रवार को पेश किए गए बजट में  सरकारी स्कूलों के लिए करोड़ों रुपए का प्रावधान किया गया है। शिक्षा में गुणवत्ता लाना सरकार का दायित्व है। इसके लिए सभी विकल्प उपलब्ध होने चाहिए। निजी क्षेत्र में कार्यरत स्कूल भी सरकार से ही मान्यता मिलने के बाद संचालित किए जा रहे हैं। बजट में इनके लिए भी प्रावधान होना जरूरी था। सरकार को चाहिए कि सभी के लिए एक जैसी गाइडलाइन तय करे। दि मेग्नेट पब्लिक स्कूल हमीरपुर के एमडी अरुण चौहान ने कहा कि सरकार ने ट्रांसफर पालिसी पर काम किया है। कोई भी सरकारी स्कूल का अध्यापक बहुत समय तक एक जगह नहीं रह सकता। शिक्षा में गुणवत्ता के लिहाज से यह एक सही कदम है। सरकारी स्कूलों में किताबों के साथ बैग दिए जाने की भी योजना है। तकनीकी शिक्षा विभाग के लिए भी 229 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह एक सराहनीय कदम है। शिक्षा पर वर्ष 2018-19 में सात हजार 44 करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही गई है। हालांकि सरकार ने निजी स्कूलों को झटका जरूर दिया है। बजट में तो दूर सरकार कभी भी निजी स्कूलों के उत्थान के लिए बेहतर प्रयास करने की नहीं सोच रही। स्कूलों के छात्रों ने शिक्षा के साथ ही खेल गतिविधियों में भी अलग पहचान बनाई है। ऐसे में केवल सरकारी स्कूलों को ही तवज्जो देना भी पूरी तरह सही नहीं है। यहां तक कि 36 लैंग्वेज लैब स्थापित की जाएंगी। सरकार को निजी स्कूलों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। इनके लिए भी बजट में प्रावधान होना चाहिए, ताकि ये स्कूल भी खुद को पू्रव कर सकें।


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