एशियाड जीतने को दिन-रात एक

By: Apr 20th, 2018 12:05 am

संगड़ाह – हाल ही में पंचकूला में आयोजित राष्ट्रीय पैरा-एथलेटिक चैंपियनशिप में दो मेडल जीत चुके उपमंडल संगड़ाह के गांव लगनू के वीरेंद्र सिंह अब एशियाई पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं। आगामी जून माह में बैंगलुरु में पैरा एशियाड खेलों के लिए ट्रायल होंगे, जिसके लिए राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप के पहले तीन विजेताओं को बुलाया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर का एथलीट बनने के लिए हालांकि बेहतर डाइट, फिजियोथैरेपिस्ट, कोच व अच्छी एथलेटिक किट की जरूरत होती है, मगर वीरेंद्र उर्फ विक्की के पास इसमें से कुछ भी मौजूद नहीं है। स्पांसरशिप न मिलने व परिवार के उसका खर्च उठाने में सक्षम न होने के चलते वह केवल अपनी हिम्मत व मेहनत के दम पर एशियाड की तैयारी में जुटा है। आर्थिक तंगी अथवा साधनों के अभाव में वीरेंद्र इन दिनों संगड़ाह के साथ लगते गांव लगनू की कच्ची सड़क पर एशियाई एथलेटिक्स प्रतियोगिता के लिए दौड़ का अभ्यास कर रहा है। गत 25 से 29 मार्च तक हुई राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वीरेंद्र को पांच किलोमीटर तथा 1500 मीटर दोनों ही इवेंट में कांस्य पदक हासिल हुए थे। इससे पूर्व गत 13 से 15 जनवरी तक लुधियाना में आयोजित राष्ट्रीय दृष्टिबाधित दौड़ में वीरेंद्र ने पांच किलोमीटर में रजत तथा 1500 मीटर में कांस्य पदक जीता था। वीरेंद्र के पिता रणदीप सिंह आईपीएच में बेलदार हैं तथा माता निर्मला देवी गृहणी हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की दौड़ की तैयारी के लिए आर्थिक मदद न मिलने के चलते वह अपने गांव की कच्ची सड़क पर बोरली व संगड़ाह तक दौड़कर एशियाड की तैयारी में जुटे हैं। हर रोज वह औसतन सात घंटे अभ्यास कर रहे हैं। व्यापार मंडल संगड़ाह, स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों तथा लगनू के ग्रामीणों ने राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वीरेंद्र को दो कांस्य पदक मिलने पर खुशी जताई। क्षेत्रवासियों को उनके पैरा एथलेटिक्स एशियाड के लिए चयन की पूरी उम्मीद है।

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