कठुआ से कड़वाहट

By: Apr 15th, 2018 12:15 am

17 जनवरी की सुबह मुहम्मद यूसुफ पुजवाला एक चारपाई पर अपने कबीले के लोगों से घिरे हुए लेटे थे। तभी एक पड़ोसी दौड़ता हुआ उनके घर की तरफ आया, लेकिन वह पड़ोसी पुजवाला के घर तक नहीं आया। उसने फोन पर ही उन्हें खबर दी। पड़ोसी ने बताया कि पुजवाला की बेटी की लाश उनके घर से कुछ दूरी पर ही झाडि़यों में पड़ी मिली है…

जम्मू  कश्मीर के कठुआ से आने वाली खबर सभी का मन कसैला कर गई, दिल में कड़वाहट पैदा कर गई। उससे भी बुरा यह है कि इस निंदनीय घटना को पंथ के खांचे में फिट कर लोगों के सामने परोसा गया। 17 जनवरी की सुबह मुहम्मद यूसुफ पुजवाला एक चारपाई पर अपने कबीले के लोगों से घिरे हुए लेटे थे। तभी एक पड़ोसी दौड़ता हुआ उनके घर की तरफ आया, लेकिन वह पड़ोसी पुजवाला के घर तक नहीं आया। उसने फोन पर ही उन्हें खबर दी। पड़ोसी ने बताया कि पुजवाला की बेटी की लाश उनके घर से कुछ दूरी पर ही झाडि़यों में पड़ी मिली है। पुजवाला ने एक न्यूज चैनल को बताया कि मुझे पता था कि मेरी बच्ची के साथ कुछ बुरा हुआ है।

उनकी बीवी नसीमा बीवी पास में ही बैठी अपनी बेटी आसिफा बानो का नाम ले-लेकर रो रही थीं। पुजवाला की दो बेटियां कुछ साल पहले एक हादसे में मारी गई थीं। अपनी पत्नी के इसरार पर पुजवाला ने अपने साले मुहम्मद अखतर की बेटी आसिफा को गोद लिया था। यूसुफ पुजवाला की बीवी नसीमा की उम्र 43 बरस है। वह  बताती हैं कि उनकी आठ साल की बच्ची आसिफा बहुत बातूनी थी। उसकी रंगत गोरी और आंखें भूरी थीं।  आसिफा की मां कहती हैं कि उन लोगों ने मेरी बेटी के ऊपर बहुत जुल्म किए थे। उसके पैर टूटे हुए थे। उसके नाखून काले पड़ गए थे। उसकी बांहों और अंगुलियों पर लाल और नीले निशान थे। 10 जनवरी को आसिफा दोपहर बाद घर लौटी थी। उसने दोपहर का खाना खाने के बाद मां को कहा कि वह जंगल से घोड़ों को वापस लाने जा रही है। घोड़े तो लौट आए, मगर आसिफा उस शाम नहीं लौटी। आठ साल की बच्ची को नशे की गोलियां खिलाकर जिन लोगों ने इस धिनौनी हरकत को अंजाम दिया  है उन्होंने क्या सोचा होगा, क्या उनके घर में उनकी पत्नी ,बेटी, मां और बहन कोई नहीं है। रिटायर्ड सरकारी अफसर है। उस पर आसिफा की हत्या की साजिश रचने का आरोप। क्यों रची उसने हत्या की साजिश? क्या उससे यह प्रश्न पूछा गया। जहां मंदिरों में कन्या को पूजा जाता है, वहां पर उसको बंदी बनाया गया। जात-पात के भेंट चढ़ी आसिफा को पता भी नहीं होगा कि  मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं।  कठुआ से बीजेपी विधायक राजीव जसरोटिया ने विधानसभा में कहा कि यह गुज्जरों का पारिवारिक विवाद है। गुज्जर नेता मियां अल्ताफ  इस पर बेवजह की राजनीति कर रहे हैं।  क्यों पारिवारिक विवाद ! वह बच्ची तो आप सबके विवाद का हिस्सा बन गई। देवस्थान के संरक्षक सांजी राम ने अपने भतीजे और बेटे के साथ मिलकर यह साजिश रची थी। उसके बेटे और भतीजे ने दो बार बच्ची से बलात्कार किया था।

इसका मकसद गुज्जरों को डराना था, ताकि वे अपनी जमीनें बेचकर वहां से चले जाएं। 60 साल के सांजी राम, उनके बेटे विशाल और नाबालिग भतीजा, पुलिस कर्मी दीपक खजूरिया और सुरेंद्र वर्मा, सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हैड कांस्टेबल तिलक राज और एक नागरिक परवेश कुमार को आसिफा केस की चार्जशीट में अभियुक्त बनाया गया है। उस बच्ची को जात-पात  के नाम पर जो उन लोगों ने मौत दी है, उसको तो बयान भी नहीं किया जा सकता।  पुलिस जिसे लोगों का रक्षक कहा जाता है, भक्षक बन गई। फिर तो इनसाफ की क्या उम्मीद । अगर गुज्जरों को डराने के लिए आठ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप का सहारा लिया गया, तो उन लोगों के ऊपर केस क्यों, उनको सीधे गोली मार देनी चाहिए या चौराहे पर खड़ा करके नपुंसक बना देना चाहिए। कितने रेप हो गए। कितनी बच्चियों की जिदंगी  गैंगरेप की भेंट चढ़ गई, पर मुकदमे लगते गए जुर्माना बता दिया गया, हो गई सजा। क्यों हम उनको वह सजा नहीं सुना सकते जो औरों को ऐसी हरकत करने के लिए दस बार सोचने के लिए मजबूर कर दे।


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