कविता

By: Apr 1st, 2018 12:05 am

गुलाम

तुम गुलाम हो

बंदिशें भी हैं

पर

बेडि़यां नहीं

काम का खिलौना है हर कोई

गलती करना

अधिकार नहीं तुम्हारा

स्वतंत्रता

मुझे नहीं मालूम!!!

देश तो आजाद है

पर फैसला कानून भी नहीं लेता

तो मेरी क्या मजाल!

मैं और तुम तो गुलाम हैं

अपनों की

सोच के।

-दीपक भारद्वाज शिमला, हिमाचल प्रदेश


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