डीसी आफिस के बाहर धरना

By: Apr 17th, 2018 12:10 am

शिमला  —कठुआ और उन्नाव में हुई बलात्कार की  घटनाओं का जहां पूरे  देश भर में विरोध हो रहा है वहीं इस विरोध की आग शिमला तक भी देखने को मिली है। शिमला में भी एसएफआई और डीवाईएफआई ने इन घटनाओं के विराध में सोमवार को डीसी आफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से जम्मूकश्मीर के कठुआ और यूपी के उन्नाव में लड़कियों से अत्याचार और अन्य अतिवादी हिंसा की दो घटनाओ के विरोध में प्रदर्शन किया।  एसएफआई ने धरना प्रदर्शन के दौरान कहा कि कठुआ में एक आठ वर्षीय लड़की का अपहरण कर लिया गया, एक मंदिर के अंदर रखा गया और लगातार आठ दिनों के लिए सामूहिक बलात्कार किया और उस पर बेरहमी से हमला कर उसे मार दिया गया। इस मामले  में पुलिस ने आठ आरोपियोंं को गिरफ्तार किया है लेकिन अभी तक इनसाफ बच्ची को नहीं मिला है। एसएफआई ने आरोप लगाया कि एक अन्य घटना में उन्नाव 18 साल की महिला का एक विधायक पर बलात्कार का आरोप है,कानून के सामने अपराधी को गिरफ्तार करने के बजाय पुलिस ने पीडि़ता के पिता को गिरफ्तार किया। एसएफआई का मानना है कि दोनों घटनाएं एक दुसरे से अलग नहीं है। एसएफआई ने इस तरह की घटनाओं को लेकर सभी लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील ताकतों और बुद्धिजीवी लोगों को एकजुट होने की अपील की है।  दोनों घटनाओं में पीडि़तों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एसएफआई और डीवाईएफआई ने सोमवार को देश भर में विरोध प्रदर्शन किया । इस धरने के माध्यम से एसएफआई ने मांग की है कि दोषियों के खिलाफ व दोषियों को बचाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए व सख्त से सख्त सजा दी जाए । इस तरह की घटनाओं से  देश सहित प्रदेश में लड़कियों के लिए माहौल बिलकुल भी सुरक्षित नहीं रह गया है।  संगठन ने आरोप लगाया कि कानून व्यवस्था बिगड़ी पड़ी हैं ऐसे में लोग अपनी बच्चियों को घरो से बाहर भेजने में भी घबरा रहे है। ऐसे माहौल में किस तरह से हमारे देश और प्रदेश की महिलाएं सुरक्षित रह पाएंगी।

एसएफआई ने किया प्रदर्शन

एसएफआई ने आरोप लगाया कि कठुआ में हुए रेप जो मंदिर में हुआ तथा उसके बाद दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। एसएफआई ने आरोप लगाया कि उन्नाव में जिस तरह से रेप की घटना को अंजाम दिया गया। उसके बाद पीडि़ता के पिता की हत्या यह दर्शाता है कि भाजपा के शासनकाल में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। एसएफआई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी सवालों के निशाने पर है। एसएफआई ने मांग की है कि बलात्कार के आरोपियों पर उचित कार्रवाई अमल में लाई जाए तथा उन्हें बचाने के लिए उन्माद फैलाने वालों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

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