धर्मशाला के डा. विक्रम ठाकुर को पद्मश्री

By: Apr 3rd, 2018 12:08 am

भू-विज्ञान के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नवाजे

धर्मशाला – धर्मशाला के तहत श्यामनगर के मूल निवासी डा. विक्रम चंद ठाकुर को सोमवार को नई दिल्ली में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। भू-विज्ञान के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान देने के लिए उन्हें राष्ट्रपति ने पद्मश्री अवार्ड से नवाजा। इसके चलते धर्मशाला में गोरखा समुदाय के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। डा. विक्रम देहरादून में नौकरी के बाद अब चाहे वहीं के होकर रह गए हैं, लेकिन पुरानी यादों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए वह अकसर धर्मशाला आते रहते हैं। डा. ठाकुर ने धर्मशाला स्कूल में ही भू-विभान की एबीसीडी समझी थी। इतना ही नहीं, वह राष्ट्रीय धुन के निर्माता कैप्टन राम सिंह ठाकुर के भी करीबी रिश्ेतदार हैं। उनके अधिकतर रिश्तेदारी धर्मशाला के खनियारा, दाड़ी और आसपास के क्षेत्रों में रह रहे हैं। उनके पिता कैप्टन शमशेर बहादुर चंद ठाकुर चंबा में आर्मी हैड थे। वहीं माता गोदावरी देवी ठाकुर हिमाचल एवं पंजाब गोरखा एसोसिएशन की दूसरी प्रधान बनी थीं। डा. ने अपनी आरंभिक पढ़ाई धर्मशाला में 1962 में की। इसके बाद एमएससी की डिग्री पंजाब यूनिवर्सिटी से पूरी की और फिर प्रोफेसर के रूप में राजकीय महाविद्यालय चंबा में कार्यभार संभाला। इसके बाद उन्होंने लंदन में अपनी पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। डा. ठाकुर को पद्मश्री सम्मान गोरखा समुदाय सहित धर्मशाला के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। लगभग 15 वर्षों तक वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के निदेशक व वैज्ञानिक रहे डा. विक्रम चंद ठाकुर ने भू-विज्ञान क्षेत्र में विभिन्न शोधों सहित भूकंप अध्ययन के क्षेत्र में विशेष कार्य किया है। इसके साथ ही पिछले 13 वर्षों से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। धर्मशाला में विक्रम ठाकुर के भानजे एवं संगीतज्ञ डा. राजेंद्र ठाकुर ने बताया कि वह अक्सर अपने पुस्तैनी घर में खाली समय बिताने के लिए पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि अगली बार धर्मशाला पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया जाएगा।

ये सम्मान भी हासिल कर चुके हैं डा. ठाकुर

राष्ट्रीय खनिज पुरस्कार से सम्मानित डा. विक्रम ठाकुर , भारतीय विज्ञान और अमरीकन भू-भौतिकीय संघ के सदस्य, सीसीएसआईआर द्वारा पांच वर्ष के लिए एमेरिट्स वैज्ञानिक घोषित, 1988 में भू-वैज्ञानिक कांग्रेस वाशिंगटन (यूएसए) सुमाकाइम कोरवेनर के इंटरनेशनल हिमालयी टेक्टोनिक्स के कन्वीनर, अंतरराष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक संगोष्ठ, टेक्टोनिक्स वर्ष 2000 में ब्राजील, विजिटिंग वैज्ञानिक जर्मनी, भू-वैज्ञानिक मास्को भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह जापान, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड के इंपीरियल कालेज, लंदन विश्वविद्यालय, अमरीका यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, चीन, नेपाल, उज्बेकिस्तान और अन्य एशियाई देशों में लेक्चर दे चुके हैं।


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