नई क्लास : नया स्कूल

By: Apr 8th, 2018 12:05 am

कहानी : बाल भारती

वरुण के पापा का तबादला दिल्ली में हो गया था। एक तरफ अंबाला से दिल्ली जैसे बड़े शहर में जाने की खुशी थी, वहीं वरुण के साथ-साथ उसके माता-पिता को यह भी डर सता रहा था कि नए शहर में , नए स्कूल में वह कैसे एडजस्ट करेगा। पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद नए स्कूल के तौर -तरीकों को अपनाने में कहीं मुश्किल न हो, यह बात वरुण को परेशान कर रही थी। उसे अंग्रेजी आती थी, पर बहुत धाराप्रवाह बोलने में उसे हिचकिचाहट होती थी। दूसरी ओर दोस्तों के छूट जाने का भी दुख था। अंबाला में तो सब व्यवस्थित ढंग से चल रहा था, पर न जाने नए स्कूल में दोस्त व टीचर कैसे मिलेंगे। मधुर की भी समस्या कुछ-कुछ ऐसी थी अभी तक वह जिस स्कूल में पढ़ रहा था वह छठी क्लास तक ही था। और अब सातवीं में उसे नए स्कूल में प्रवेश लेना था। वह इसी उधेड़बुन में रहता था कि वहां के वातावरण में वह खुद को ढाल नहीं पाया तो पढ़ाई में ध्यान कैसे दे पाएगा। परीक्षाएं खत्म होने के बाद जहां एक तरफ परिणाम की चिंता सताती है, वहीं दूसरी ओर बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए नए स्कूल में बच्चे का जाना, चाहे उसकी वजह कुछ भी हो, कम परेशान करने वाली बात नहीं। यही नहीं, चाहे स्कूल वही हो, पर जब नई क्लास में जाते हैं, तो भी थोड़ा अजीब लगता ही है। अकसर पुराने छात्र दूसरे स्कूल में चले जाते और नए छात्र प्रवेश ले लेते हैं। शुरुआती दिनों में कुछ दिक्कतें आती ही हैं। किसी से जान-पहचान नहीं होती, यह नहीं पता होता कि वहां अध्यापकों के पढ़ाने का तरीका कैसा है, आदि।

रखें सकारात्मक सोच

नए स्कूल में जाने से पहले ही मन में कोई गलत धारणा न बना लें कि पता नहीं पुराने स्कूल जैसा माहौल वहां मिलेगा भी कि नहीं। हो सकता है, उससे बेहतर वातावरण व शिक्षा आपको नए स्कूल में पुराने स्कूल में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, नई चीजें सीखने को मिलेंगी और कुछ-कुछ नया कर के दिखाने को भी मिलेगा। हो सकता है यहां आपकी प्रतिभा और निखर जाए, हो सकता है स्कूल में अवसर ज्यादा हों। अपने डर तथा उम्मीदों को नकारात्मक ढंग से सिर न उठाने दें, बल्कि इसे एक नए अवसर के रूप में लें।

नए दोस्त बनाने का अवसर

नए स्कूल में आने पर सबसे बड़ी जिस समस्या का सामना करना पड़ता है वह होती है, वर्षोें पुराने मित्रों का साथ छूट जाना। न जाने यहां कैसे दोस्त मिलें, उनसे मन मिल भी पाएगा या नहीं, या उनसे अपनी बातें शेयर कर पाएंगे या नहीं या पढ़ाई में उनकी मदद मिल जाएगी या नहीं। कुछ दिनों तक तो नए सहपाठियों से बात करते हुए भी संकोच होता है कहीं कोई मजाक न उड़ा दे या अगर छोटे शहर से बड़े शहर में आए हैं तो उनकी शैली को अपनान पाने के कारण खिल्ली का पात्र न बन जाएं। बड़े शहरों से जो छोटे शहरों में जाते हैं ,वे अकसर अपना रौब बनाने की भी कोशिश करते हैं। स्वयं आगे बढ़कर मित्रता का हाथ बढ़ाने से आपकी सारी उलझने दूर हो जाएंगी। हो सकता है दूसरा भी आपकी ओर मित्रता का हाथ बढ़ाने से हिचकिचा रहा हो। अपनी योग्यता व जानकारी के बारे में दर्शाते हुए भीड़ में से ऐसे चेहरों को ढूंढते रहें जो मित्रवत होने का एहसास कराते हों और बस आपको दोस्त मिल जाएंगे।

आत्मविश्वास न खोएं

हमेशा याद रखें कि किसी भी बदलाव के लिए अपने को समय देना जरूर होता है। स्कूल की गतिविधियां में शामिल हों, अध्यापकों से लगातार संवाद बनाए रखें और अगर कोई परेशानी हो तो उनसे बात करें। दूसरे आपका मजाक उड़ाएंगे। यह सोचकर स्वयं के प्रति दया भाव रखने की बजाय अपनी योग्यताओं का परिचय देते हुए नए माहौल को पूरे आत्मविश्वास के साथ आत्मसात करें। एक टीम स्पिरिट हो तो आपको नई कक्षाओं में भी अपनी जगह बनाने में देर नहीं लगेगी।

अभिभावकों की भूमिका अहम

नए स्कूल में अपने बच्चे को ढालने के लिए माता-पिता सबसे बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। अगर उन्हें लगता है कि बहुत समय बीत जाने के  बावजूद बच्चा वहां एडजस्ट नहीं कर पा रहा और इसका असर उसकी पढ़ाई के साथ-साथ उसके व्यक्तित्व पर भी पड़ रहा है तो वे स्कूल काउंसलर की मदद भी ले सकते हैं। आजकल अधिकतम स्कूलों में स्कूल काउंसलर और मनोवैज्ञानिक होते हैं जो इस तरह की समस्याओं से उभरने में मदद करते हैं। माता-पिता बच्चे को इस बात के लिए डांटें नहीं, वरन उसके मनोभावों को समझ उसे समय व सहयोग दें। अगर कोई छात्र आपके बच्चे को परेशान कर रहा है, तो ऐसे उद्दंड छात्रों से निपटने के तरीके भी उनके पास होते हैं। बच्चे हों या किशोर छात्र हमेशा यह मानकर चलें कि नए स्कूल में आना आपके  शैक्षिक जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है, देखा जाए तो आपके बड़े होने, परिपक्व होने का और  इससे हमेशा कुछ न कुछ सीखने को ही मिलेगा जो भविष्य में आपके लिए कारगर सिद्ध होगा। बेहतर होगा नई कक्षा या नए स्कूल में जाने पर अपने सहपाठियों व अध्यापकों के साथ  संपर्क सूत्र कायम करें ताकि आपको उन्हें अपनाने में परेशानी  न हो।


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