राधा-कृष्ण मंदिर

By: Apr 21st, 2018 12:07 am

नारायण की नगरी ठाकुरद्वारा में स्थित प्राचीन राधा-कृष्ण का मंदिर पच्छाद सहित पड़ोसी राज्य हरियाणा के साथ लगते इलाकों का भी सिरमौर रियासत काल से श्रद्धा व आस्था का केंद्र रहा है। यह मंदिर सिरमौर जिला की तहसील पच्छाद के मुख्यालय सराहां से 18 किलोमीटर दूर पिंजोर-चंडीगढ़ मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर का संबंध सिरमौर रियासत काल से माना जाता है। जानकारों के अनुसार व मंदिर में मिली शिला के मुताबिक इस मंदिर का निर्माण 1822 ई. के लगभग तत्कालीन राजा रघुवीर प्रकाश के शासन काल के आसपास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उस समय यहां पर स्थित ठाकुरद्वारा गांव के लोग इलाके में अकसर फैलने वाली महामारी के प्रकोप के चलते बीमारियों से ग्रसित रहते थे व इस गांव मे बस नहीं सकते थे।  गांव वासियों ने अपनी इस समस्या से सिरमौर रियासत के तत्कालीन राजा को अवगत करवाया। राजा ने अपने प्रकांड पंडितों, ज्योतिषाचार्यों व बुद्धिजीवी वर्ग के परामर्श से इस स्थान पर 43 बीघा जमीन उपलब्ध करवा कर राधा-कृष्ण के मंदिर का विधि-विधान से निर्माण करवाया। लोगों के मुताबिक बंसी वाले की कुछ ऐसी कृपा हुई कि लोगो को महामारी से निजात मिल गई व इलाके में खुशहाली आ गई। तब से लोग अपनी नेक कमाई का व फसल का दशांश छमाही के तौर पर चढ़ाते थे, जिसे बाद में मंदिर का पुजारी स्थानीय लोगों के सहयोग से भंडारे के आयोजन व निर्धन लोगों की सहायता में लगा देता था। बदलते परिवेश के साथ इस मंदिर को सरकारी अधिग्रहण में ले लिया गया। काफी समय तक यह उपेक्षा का शिकार रहा तथा मंदिर में रखी प्राचीन मूर्तियां भी चोरी हो गईं, लेकिन नारायण की कुछ ऐसी माया रही कि कुछ अंतराल के पश्चात स्थानीय लोगों की चेतना जागी व उन्होंने आपसी सहयोग से प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और अब यहां राधा- कृष्ण के साथ शिव मंदिर व शनि मंदिर का भी निर्माण किया गया।  इलाके में स्थित स्वयं सेवी संस्था के निर्देशक डा. अनिल शर्मा, देवेंद्र भंडारी, अजमेर सिंह, हीरा सिंह, प्रशांत भंडारी इत्यादि ने बताया कि यह मंदिर श्री जगन्नाथ पूरी के अंतर्गत आता है तथा वर्तमान में इसकी भूमि जगन्नाथ धाम नाहन के अधीन है । वर्तमान में यहां स्थानीय लोगों द्वारा महाशिवरात्रि को शिव विवाह व भंडारे का आयोजन,नवरात्रों में मां काली का जागरण, सावन में कावड़ सेवा का कार्य व जन्माष्टमी पर मंदिर से सराहां स्थित राम मंदिर तक 20 किलोमीटर तक की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमंे पूरे इलाके के लोग श्रद्धापूर्वक बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं।  कुल मिलाकर यह स्थान बड़ा रमणीक है। मंदिर के प्रांगण में मां काली के मंदिर के सामने बहुत ही सुंदर तालाब है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर सभी श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।                                                                — संजय राजन, सराहां, सिरमौर

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