सराहन में बना है गेफेंग देवता का मंदिर
चंद्रा घाटी के लाहुल क्षेत्र के अन्य प्रमुख ग्लेशियर हैं- छोटा शिगड़ी, पाचा, कुल्टी, शिपतिंग, दिंगकर्मो, तापन, गेफेंग, शिल्ली, बोलुनाग, तथा शामुद्री। गेफेंग ग्लेशियर का नामकरण लाहुल घाटी के सुप्रसिद्ध देवता गेफेंग पर किया गया है, जिनका सराहन में मंदिर भी है…
गतांक से आगे…
लाहुल का बड़ा शिगड़ी हिमनद
यह मुख्य हिमालय के मध्य की ढलान पर स्थित है। छोटे-छोटे अन्य ग्लेशियर इस ग्लेशियर को सिंचित करते हैं। बड़ा शिगड़ी ग्लेशियर का पूरा क्षेत्र बंजर तथा बिना किसी प्राकृतिक उपज के है। कहा जाता है कि वर्ष 1936 में इस ग्लेशियर ने चंद्रा घाटी में भारी तबाही मचाई थी, जिसके परिणामस्वरूप बाद में चंद्रताल झील का निर्माण हुआ। सन् 1956 में पहली बार कुछ महिला पर्वतारोहियों ने इस पर विजय प्राप्त की। फिर 1958 में स्टीफेन्सन तथा सन् 1970 में मेजर बलजीत सिंह ने सफलतापूर्वक बड़ा शिगड़ी ग्लेशियर का भ्रमण किया। वर्ष 1957 में भारतीय भू-गर्व सर्वेक्षण संस्थान के तत्त्वावधान में जीएन दत्त तथा एफ अहमद द्वारा इस ग्लेशियर के अध्ययन की शुरुआत की गई।चंद्रा घाटी के लाहुल क्षेत्र के अन्य प्रमुख ग्लेशियर हैं- छोटा शिगड़ी, पाचा, कुल्टी, शिपतिंग, दिंगकर्मो, तापन, गेफेंग, शिल्ली, बोलुनाग, तथा शामुद्री। गेफेंग ग्लेशियर का नामकरण लाहुल घाटी के सुप्रसिद्ध देवता गेफेंग पर किया गया है, जिनका सराहन में मंदिर भी है। गेफेंग चोटी स्विट्जरलैड की मैटरहौरन चोटी से मेल खाती है, जो वर्ष भर वर्र्फ से ढ़की रहती है। स्थानीय लोग इसे लाहुल घाटी का मणिमहेश भी कहते हैं। कुल्टी ग्लेशियर कोखसर के नजदीक स्थित है। मिलांग ग्लेशियर कुल्टी के उत्तर में दारचा और खेक्राड़ के मध्य स्थित है।
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