अखबारें सबसे बेहतर, सोशल मीडिया पर भरोसा नहीं

By: May 31st, 2018 12:05 am

भागदौड़ भरी जिंदगी में किताबें पीछे छूट गईं और मोबाइल सूचना और जानकारी का वो जरिया बन गया, जो आज की पीढ़ी की कसौटी पर खरा उतरा। हाल यह हो रहा है कि ऑप्शन ज्यादा होने से पाठक की नजरें और नजरिया दोनों ही बदल गए। न लेखक से मोह रहा और न ही रचना से कोई सरोकार। मतलब की सामग्री मिली तो पढ़ ली, नहीं तो आगे निकल लिए। अब न तो पाठक रचनाकार को अपना मानता है और न ही उसके गढ़े पात्रों को जी पाता है। साहित्य से दूर हो रहे हिमाचली पाठक के इसी नजरिए को सामने ला रहा है प्रदेश का अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’….

साहित्य का अहम स्थान

सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राममूर्ति लट्ठ के जीवन में साहित्य अहम स्थान रखता है।  सोशल मीडिया को आने वाले समय में अपरिहार्य मानने वाले राममूर्ति लट्ठ इसके कंटेटस की विश्वसनियता को लेकर जरूर सवाल उठाते है। बचपन से लेकर अभी तक सबसे चर्चित किताब के रूप में वह धार्मिक ग्रंथ गीता का नाम लेते है। वहीं, उनके पंसदीदा लेखकों में लाला हरदयाल जी, पवन खेड़ा तथा समाचार पत्रों के संपादकीय लेखन में अनिल सोनी जी शामिल है। उन्होंने कहा कि हिमाचली साहित्यकारों की कड़ी में पियूष गुलेरी को वह पंसद करते है।

साहित्य का अहम योगदान

शिक्षाविद् दीपशिखा कौशल का मत है कि साहित्य का हमारे जीवन को दिशा देने में अहम योगदान है। खुशवंत सिंह के लेखन कौशल की प्रशंसक दीपशिखा कौशल बचपन से अभी तक मुंशी प्रेम चंद की कहानियों के बारे में काफी चर्चा सुन व पढ़ चुकी है। सूचनाओं के लिए सबसे पहले न्यूजपेपर व फिर टीवी पर निर्भर दीपशिखा कौशल सोशल मीडिया को सूचना के लिए विश्वसनीय मंच नही मानती है। उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में किसी साहित्यिक रचना को नही पढ़ पाई है।

सूचनाएं मीडिया पर निर्भर

युवा सुमित शर्मा सूचनाओं के लिए मूलतः प्रिंट मीडिया पर निर्भर रहते है। सुमित शर्मा ने कहा कि बचपन से आज तक उन्होंने सबसे अधिक चर्चा धार्मिक ग्रंथ रामायण की सुनी है। उन्होंने बताया कि वह महान लेखक रहे रामसिंह धारी दिनकर जी के प्रशंसक है। हिमाचली लेखकों में पियूष गुलेरी जी की कहानियों को अकसर पड़ते थे। सुमित शर्मा ने कहा कि पिछले एक साल से अधिक समय से धार्मिक ग्रंथ गीता का अध्ययन कर रहा हूं। उनके अनुसार साहित्य का जीवन में अहम स्थान है।

समाज अधूरा है

एडवोकेट हिंमाशु विश्वामित्र अपने दादा प्रो.खुशी राम शर्मा के लेखन कार्य से सर्वाधिक प्रभावित है। उनके हिमाचली साहित्य से संबधित लेखों को भी वह पड़ते रहे है। एडवोकेट हिमांशु विश्वामित्र के अनुसार वह सूचनाओं के लिए समाचार पत्र पर ही निर्भर है। बचपन से अभी तक अनेकों किताबों की चर्चाएं सुनी, लेकिन अभी कोई एक विशेष नाम उनके जहन में नहीं है। उन्होंने कहा कि साहित्य के बिना कोई भी व्यक्ति, समाज अधूरा है।

इंटरनेट पर निर्भर

नगर परिषद ऊना के अध्यक्ष एडवोकेट अमरजोत सिंह बेदी ने कहा कि सूचनाओं के लिए वह इंटरनेट पर निर्भर है। उनके पसंदीदा लेखक अमीश है। बचपन से ही उन्होंने पीटर टंपकिन का लिखा सीक्रेट लाइफ प्लांट पढ़ा। यह उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि साहित्य का जीवन में अहम रोल समझते है।

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