आइए! बैंटनी कैसल में स्वागत है

By: May 17th, 2018 12:09 am

शिमला —शिमला स्थित एतिहासिक धरोहर बैंटनी कैसल भवन आज से पांच दिन तक शिल्पकारों की कलाओं से चमकेगी। हिमाचल व पर्यटकों ने हिमाचल की जो कलाकृतियां पूराना रहन सहन 50 सालों से नहीं देखा होगा, वह एक ही मंच पर उन्हें देखना को मिलेगा। यह दावा भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से किया गया है। गुरुवार 17 से 21 मई तक शुरू होने वाले ग्राम शिल्प मेले का शुभारंभ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। पुरातन शिल्प कलाकार इस मेले में अपनी कलाओं को खुले मंच पर प्रदर्शित करेंगे। खास बात यह रहेगी की राज्य स्तरीय इस शिल्प ग्राम मेले में प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र और ऐसे कलाकारों को बुलाया गया है, जिनकी बेहतर कलाओं को अभी तक लोग नहीं देख पाए है। भाषा संस्कृति विभाग की सचिव पूर्णिमा चौहान ने कहा कि  इस मेले में पांच दिन तक हिमाचल की संस्कृति और पुराने कलाकारों की शिल्पग्राम में बनाई गई कलाकारी को प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मेले में 50 स्टोलें लगाई जाएंगी, जिसमें 45 स्टॉल्स शिल्पकलाओं से संबंधित होगी। ग्राम शिल्प मेले में प्रदेश भर के काष्ठ, प्रस्तर, धातु एवं हस्तशिल्पियों और लघुचित्र कलाकारों को प्रतिभागिता का अवसर प्रदान किया जा रहा है। यह सभी शिल्पी उत्कृष्ट कलाओं का प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि वर्ष 1830 ई. के आसपास ब्रिटिश-इंडिया के कैप्टन बैंटनी ने इस जगह को खरीद कर यहां एक छोटी सी कॉटेज बनाई। 1880 ई. को यह भू-संपत्ति महाराजा सिरमौर ने खरीदकर यहां आलीशान भवन बनवाया। इस भवन की रेलिंग, सीढि़यों आदि के लिए ढालवां लोहे में निर्मित सजावटी सामग्री को नाहन फाउंडरी से मंगवा कर भवन को शिल्प कौशल की दृष्टि से भव्यढंग से बनवाया गया। यह भवन महाराज सिरमौर का ग्रीष्मकालीन आवास रहा है।

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