कर्मचारी महासंघ को हलचल नहीं

By: May 24th, 2018 12:01 am

सरकार की चुप्पी के बाद नेता भी मौन, कौन उठाए आवाज

 शिमला— प्रदेश में कर्मचारी महासंघ के गठन का मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ता नजर आ रहा है। सरकार की चुप्पी के साथ यहां कर्मचारी नेता भी खामोश हो गए हैं। एक महीने पहले तक कर्मचारियों के कई गुट महासंघ की कुर्सी के लिए दावेदारी जता रहे थे, लेकिन अब कोई कुछ नहीं बोल रहा। एक तरफ मान्यता प्राप्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष एसएस जोगटा के तबादले के बाद महासंघ में नई राजनीति शुरू हो गई तो दूसरी ओर सुरेंद्र ठाकुर कर्मचारी राजनीति से जुदा हो गए। उनके कामगार कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद यहां कर्मचारी राजनीति में भी नए समीकरण उभरे हैं, क्योंकि उनकी तरफ से अब कोई नया ही दावेदार होगा। तीसरी तरफ तदर्थ कमेटी, जिसने पूरे प्रदेश में चुनाव करवाकर अपनी दावेदारी जताने का दम भरा था, वह भी अब मौन धारण कर चुकी है। फिलहाल कर्मचारी महासंघ के लिए किसी भी गुट में कोई हलचल नहीं हो रही है, जिसके चलते प्रदेश सरकार भी चुप है। वैसे प्रदेश सरकार ने सत्ता में आने के बाद कुछ वित्तीय लाभ देकर कर्मचारियों को खुश किया है, लेकिन अभी भी उनकी कई बड़ी मांगें लंबित पड़ी हुई हैं। वीरभद्र सरकार में एक जेसीसी की बैठक हो सकी थी, जिसके बाद चार साल तक कोई बैठक नहीं हुई। इसी तरह से सभी जिलों में भी जेसीसी की बैठकों का आयोजन नहीं हो सका। गौर हो कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगें जेसीसी की बैठक में भी चर्चा में लाई जाती हैं, लेकिन यह बैठक ही नहीं हो पाई है। अब कर्मचारियों की बात उठाने वाला फिलहाल कोई नहीं है और ऐसे प्रतिनिधि भी सरकार तक नहीं पहुंच रहे हैं। कर्मचारियों में केवल तबादलों के मामले इन दिनों चर्चा में है, जिसके लिए कर्मचारी अपने-अपने स्तर पर लॉबिंग कर रहे हैं। आम कर्मचारी से जुड़ी मांगों को न तो कोई उठाने को तैयार है और न ही कोई सुनने को।

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