जानलेवा है निपाह वायरस

By: May 26th, 2018 12:05 am

केरल में निपाह वायरस का कहर जारी है, ऐसे में लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर भय का माहौल है। इसे लेकर कई तरह की अफवाहें भी लोगों के बीच फैलाई जा रही हैं, जिससे लोगों में डर और बढ़ गया है। ऐसे में केरल के लोगों से अपील की जा रही है कि वे निपाह वायरस के बारे में फैलाई जा रही अफवाहों से परेशान न हों। साथ ही लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि वे स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें। भारतीय राज्य केरल से शुरू हुए निपाह वायरस की दस्तक से दिल्ली तक हड़कंप मच गया है। निपाह एक रहस्यमयी बीमारी तेजी से फैल रही है। जानिए आखिर क्या है निपाह वायरस और इससे कैसे पाएं निजात। यह वायरस इनसानों के साथ-साथ जानवरों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। यह पहली बार 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई में फैला था, जिसका असर सबसे ज्यादा सूअर में देखा गया। यह सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है और इसके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी चपेट में ले लेता है। इसके बाद साल 2014 में बांग्लादेश में इनसानों में यह फैला था। यह वायरस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है। इससे पीडि़त लोगों को सांस लेने में समस्या होती है। इसके बाद इन्सेफ्लाइटिस के शिकार हो जाते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस एक नई उभरती बीमारी है, जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारी का कारण बनती है। निपाह वायरस को निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस भी कहा जाता है।

कैसे फैलता है निपाह वायरस

निपाह वायरस जानवरों और इनसानों में फैलने वाला एक गंभीर संक्रमण है। यह वायरस हेंड्रा वायरस से संबंधित है। जो कि घोड़ों और इनसानों के वायरस इन्फेक्शन से संबंधित है। इतना ही नहीं, खजूर की खेती करने वालों को भी यह जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है।

निपाह वायरस के लक्षण

इससे पीडि़त मनुष्य को इस इन्सेफलेटिक सिंड्रोम के रूप में तेज संक्रमण बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, विचलन, कोमा और आखिर में मौत होने के लक्षण नजर आते हैं। इसके लक्षण 24-28 घंटे में नजर आने लगते है।

ऐसे करें बचाव

 इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं रखें। रिबावायरिन नामक दवाई वायरस के खिलाफ  प्रभावी साबित हुई है। हालांकि, रिबावायरिन की नैदानिक प्रभावकारिता मानव परीक्षणों में आज तक अनिश्चित है।

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