जानें क्यों सरस्वती के हाथों में वीणा होती है

By: May 19th, 2018 12:05 am

जब वीणा को बजाया जाता है, उसमें से निकलने वाली धुन चारों ओर फैले अज्ञान के अंधकार का नाश करती है। माना जाता है कि वीणा की गर्दन के भाग में महादेव, इसकी तार में पार्वती, पुल पर लक्ष्मी,  सिरे पर विष्णु और अन्य सभी स्थानों पर सरस्वती का वास होता है। वीणा को समस्त सुखों का स्रोत भी माना जाता है…

हिंदू धर्म एक ऐसा धर्म है। जहां पर करोड़ों देवी-देवता की पूजा की जाती है। यह अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इन्हीं करोड़ों देवी-देवताओं में से एक है देवी सरस्वती। जिन्हें ज्ञान और संगीत की देवी कहा जाता है। अगर कोई इनकी सच्चे मन से पूजा करे, तो उसे बुद्धि के साथ ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी सरस्वती जो कमल में विराजमान हैं और जिनके हाथों में वीणा, साथ ही जिनका वाहन मोर है। अपनी शांति और प्रसन्नचित रहने के कारण सभी से प्रसन्न रहती हैं। यह बहुत ही जल्दी प्रसन्न भी हो जाती हंै। यह अपने हाथों में वीणा लिए हुए हैं, लेकिन कभी आपने सोचा कि यह संगीत की देवी है वीणा के अलावा कोई और वाद्य यंत्र क्यों नहीं लिया। माता सरस्वती का इस वीणा से क्या संबंध है? हमारे मन में ऐसे ही कई प्रश्न आते हैं। जिनका जवाब हमें पता नहीं होता है। हिंदू धर्म में वसंत पंचमी का त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर विद्याथियों और ऋषियों के लिए यह दिन होता है। इस दिन ये देवी सरस्वती की पूजा विधि-विधान के साथ करते है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों माता सरस्वती ने वाद्य यंत्रों में सिर्फ वीणा को ही चुना। वास्तव में समस्त वाद्य यंत्रों में वीणा सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, जिसकी धुनों का संबंध सीधे ईश्वर से स्थापित होता है। ऋषि याज्ञवल्क्य ने इस बारे में कहा था कि वह मनुष्य जिसे वीणा में महारत हासिल है, उसे बिना प्रयास के मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी सरस्वती के हाथ में वीणा बहुत कुछ दर्शाती है। देवी सरस्वती के हाथ में जो वीणा है उसे ज्ञान वीणा कहा जाता है। यह ज्ञान, अध्यात्म, धर्म और अन्य सभी भौतिक वस्तुओं से संबंधित है। जब वीणा को बजाया जाता है, उसमें से निकलने वाली धुन चारों ओर फैले अज्ञान के अंधकार का नाश करती है। माना जाता है कि वीणा की गर्दन के भाग में महादेव, इसकी तार में पार्वती, पुल पर लक्ष्मी,  सिरे पर विष्णु और अन्य सभी स्थानों पर सरस्वती का वास होता है। वीणा को समस्त सुखों का स्रोत भी माना जाता है। आपने ध्यान दिया हो, तो आपने देखा होगा कि देवी सरस्वती वीणा के ऊपरी भाग को अपने बाएं हाथ से निचले भाग को अपने दाएं हाथ से थामे नजर आती हैं। यह ज्ञान के हर क्षेत्र पर निपुणता के साथ उनके नियंत्रण को दर्शाता है। साथ ही इस वीणा के अंदर सभी देवी-देवता भी विराजते हैं। वीणा की धुन रचना के मौलिकता को प्रदर्शित करती है। ये ब्रह्मांड में प्राण भरने का कार्य करती है। वीणा की धुन, उसकी तारें जीवन को दर्शाती हैं। इसके स्वर स्त्री स्वर से मेल खाते हैं। वीणा की कंपन दैवीय ज्ञान की ओर इशारा करती हैं। वीणा के बजने पर ये ज्ञान पानी की तरह बहने लगता है। मां सरस्वती की वंदना करने से ज्ञान बढ़ता है।

अपना सही जीवनसंगी चुनिए| केवल भारत मैट्रिमोनी पर-  निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App