नौणी विश्वविद्यालय के दो मेडल अंकिता के नाम

By: May 27th, 2018 12:13 am

शिखर पर

डा. वाईएस परमार वानिकी व बागवानी विश्वविद्यालय नौणी की छात्रा अंकिता ने एमएससी वानिकी में उच्च अंक प्राप्त कर विश्वविद्यालय का नाम चमकाया है। अंकिता का जन्म चिरचिता गांव के बागपत जिला उत्तर प्रदेश में 8 मार्च, 1994 को हुआ। बचपन से पढ़ाई में रुचि रखने वाली अंकिता ने अपनी मंजिल पाने के लिए कड़ी मेहनत की व दृढ़ संकल्प किया।

मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखने वाली अंकिता के पिता आईसीएआर में बतौर कृषि वैज्ञानिक तैनात हैं, जबकि माता सरोज भादाना गृहिणी हैं। अंकिता की एक छोटी बहन एलएलबी की शिक्षा ग्रहण कर रही है। अंकिता ने मणिपुर व हैदराबाद से अपनी स्कूली शिक्षा ली व बनथली विद्यापीठ राजस्थान से अपनी बीएससी की। अंकिता ने बताया कि वर्ष 2015-2017 तक डा. यशवंत सिंह परमार नौणी विश्वविद्यालय से अपनी एसएससी की शिक्षा ग्रहण की व उच्च अंक प्राप्त कर दो गोल्ड मेडल हासिल किए।

अंकिता ने पूरे विश्वविद्यालय नौणी में प्रथम रैंक हासिल किया व वानिकी कालेज में भी वह प्रथम रैंक हासिल करने में कामयाब रहीं। अंकिता ने 10.00 (ओजीपीए) में 9.01 (ओजीपीए) अंक प्राप्त किए हैं। अंकिता ने आईसीएआर के द्वारा पेपर ऑल इंडिया एग्जाम में जेआरएफ परीक्षा में 68 रैंक प्राप्त कर डा. यशवंत सिंह परमार नौणी विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। अंकिता ने कहा कि वह दिन-रात पढ़ाई करती थी, ताकि वह उच्च अंक प्राप्त कर सके।

अंकिता ने डा. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी को इसलिए चुना क्योंकि हिमाचल का वातावरण बेहद शांतिपूर्ण व पढ़ाई के लिए काफी अच्छा है। अंकिता ने बताया कि उन्हें स्टैटिस्टिक पढ़ना था, इसलिए व नौणी विवि पहुंची। अंकिता ने कहा कि नौणी विश्वविद्यालय में बेहतरीन सुविधाएं छात्रों को प्रदान की जा रही हैं व छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के कडे़ इंतजाम किए हैं, ताकि विद्यार्थी को परेशानी का सामना न करना पडे़।

अंकिता ने कहा कि लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय में सुरक्षा को लेकर कडे़ इंतजाम हैं व वह मंगल होस्टल, नौणी विश्वविद्यालय में रहती थी। डा. यशवंत सिंह परमार नौणी विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए एडवांस लाइब्रेरी तैयार की गई हैं, जिसका छात्र-छात्राओं को लाभ मिल रहा है।

अंकिता ने बताया कि डा. यशवंत परमार विश्वविद्यालय डा. हरि चंद शर्मा कुलपति ने उन्हें काफी गाइड किया। कुलपति विद्यार्थी का काफी ध्यान रखते हैं व हर लैब, लाइब्रेरी, क्लास का रोजाना निरीक्षण करते हैं। छात्राओं के लिए कुलपति द्वारा बेहतरीन सुविधा प्रदान की गई है। हिमाचल की संस्कृति को जानने का मौका मिला व यहां के लोग काफी मददगार है व साधारण हैं। हिमाचली नाटी अंकिता को बेहद पसंद आई। अंकिता ने बताया कि वह 9 घंटे पढ़ाई करती हैं व उन्हें जानवर बेहद पसंद हैं। अंकिता ने बताया कि नौणी विवि के माध्यम से उन्हें समाज सेवा करने का भी मौका मिला।

— मोहिनी सूद, सोलन

आंखों से छलके खुशी के आंसू

जब अंकिता  को महामहिम राष्ट्रपति ने गोल्ड मेडल पहनाया, उनकी आंखें खुशी से नम हो गईं।  कुलपति डा. हरि चंद शर्मा की वह आभारी हैं, जिन्होंने उन्हें हर कदम पर गाइड किया।

मुलाकात

वानिकी और बागबानी के बिना हिमाचल की कल्पना नहीं की जा सकती…

मेडलों के बीच आपके व्यक्तित्व का सुनहरी मूल्यांकन कितना संतुष्ट करता है?

मेडल पा कर मैं बहुत खुश हूं और भारत के राष्ट्रपति के हाथों मिलना इस खुशी को दोगुना करता है। जहां तक संतुष्ट होने की बात है तो जीवन में अभी मुझे बहुत कुछ सीखना है।

अभी पाने की राह पर  अगली मंजिल क्या है? विज्ञान की भूमिका में नारी अस्तित्व की नई पहचान को खुद में कैसे  देखती हैं?

अपनी सीखने की लगन जारी रखते हुए अपने पीएचडी के शोध कार्य को पूरा करना मेरा निकटतम लक्ष्य है। नारी सशक्तिकरण वर्तमान का सच है। विज्ञान इससे अछूता नहीं है। हमारे नौणी विश्वविद्यालय में नौ में से छः स्वर्ण पदक छात्राओं को मिलना इसका प्रमाण है।

मणिपुर, हैदराबाद के बाद सोलन में अंकिता के अनुभव?

सोलन की आबोहवा मणिपुर से मिलती है, लेकिन हिमाचली लोग इससे अलग हैं। उनका अपनापन किसी को भी सोलन की तरफ आकर्षित करेगा। सोलन में बिताया गया समय अच्छी यादों से भरा है। सोलन की जलवायु की वजह से मैं सेहतमंद रही और अच्छी पढ़ाई कर पाई।

जो सिर्फ हिमाचल में मिला। कितना  रास आया यह पड़ाव?

मेरे लिए डा. वाईएस परमार विवि में पढ़ना सौभाग्य की बात रही। घर से दूर घर जैसा माहौल मिला। विशेषकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने सिर्फ अच्छा पढ़ाया ही नहीं, प्रेरणा भी दी। हमारे विश्वविद्यालय के प्रो. डा. पीके महाजन, डा. आरके गुप्ता और आशु चंदेल ने मेरा समय पर मार्गदर्शन किया।

शिक्षा की वर्तमान कसौटियों में छात्र समुदाय का सबसे बड़ा दबाव क्या है। क्या लक्ष्य से बड़ी प्रतिस्पर्धा है या प्रतिस्पर्धा ही अब लक्ष्य है?

आज के समय में बढ़ती हुई आबादी के कारण छात्रों को अपनी पसंद के विवि में दाखिला पाने और उसके बाद नौकरी पाने में मुश्किल होती है, जिसकी वजह से प्रतिस्पर्धा की भावना न चाहते हुए भी घर कर लेती है। इससे बचने के लिए शिक्षा और रोजगार के नए विकल्पों का होना जरूरी है, जोकि संभव होता नजर आ रहा है।

आपके लिए जीवन ही शिक्षा है या अध्ययन के अलावा भी अंकिता के लिए कुछ अन्य महत्त्व रखता है?

जीवन में हर वक्त हम कुछ नया सीखते हैं। मेरे माता-पिता ने मुझे पहली सीख यह दी थी कि व्यक्ति को प्रकृति, हर एक जीव के लिए दया का भाव रखना चाहिए। इसलिए जितना हो सकता है मैं अपना समय जानवरों के साथ उनकी सेवा करते बिताना पसंद करती हूं, जिससे मुझे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

छात्र जीवन के दौरान लक्ष्य की उड़ान में समय का आबंटन किस प्रकार करें?

छात्र जीवन में पढ़ाई करते हुए हमें दूसरी चीजों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए, जैसे नींद एवं व्यायाम। पढ़ाई गुणात्मक होनी चाहिए, मात्रात्मक नहीं।

एक सफल विज्ञानी सिद्ध होने के लिए उपाधि के अलावा क्या चाहिए?

एक सफल विज्ञानी होने के लिए लगन और स्वार्थ रहित होना बहुत जरूरी है।

क्या आपके मेडल भविष्य में किसी सपने को पूरा होते देख रहे हैं?

मेडल मुझे और कठिन परिश्रम करने को प्रोत्साहित करेंगे। शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रसर होकर समाज और देश की भलाई करना चाहती हूं।

अगर आपको हिमाचली वानिकी के परिदृश्य में अपनी राय रखनी हो, तो क्या सुझाव देंगी। भविष्य के जंगल की कोई नई रूपरेखा- परिभाषा?

वानिकी एवं बागबानी के बिना हिमाचल की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। आज जिस तरह से गतिविधियां हो रही हैं जैसे कि जंगल की कटाई, बढ़ता शहरीकरण आदि से वानिकी को निरंतर नुकसान पहुंच रहा है और जलवायु परिवर्तन ने इस खतरे को और भी बढ़ा दिया है।

किसी वैज्ञानिक से प्रभावित हुईं। कोई ऐसी शख्सियत जिसके विचारों ने हमेशा उद्वेलित किया या आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया?

भारत के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डा. एमएस स्वामीनाथ मेरे लिए बहुत बड़ी पे्ररणा हैं। उनके द्वारा भारत की भूख मिटाने हेतु किए गए कार्य मुझे बहुत प्रभावित करते हैं।

अध्ययन की बोरियत में निरंतर डूबकर नौ घंटे तक पढ़ना आखिर संभव कैसे होता है। कोई राज इस तपस्या  का ?

मैं लगातार लंबे समय तक नहीं पढ़ती। बीच में ब्रेक लेती हूं। विषय को सीखने की चाह बोर नहीं होने देती।

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