लाला हरदयाल ने ‘गदर’ नामक समाचार पत्र निकाला

By: May 30th, 2018 12:05 am

सन् 1911 ई. में लाला हरदयाल भारत से भाग कर फ्रांस होते हुए अमरीका में स्थित सेन फ्रांसिस्कों में पहुंच गए और वहां भारतीयों के बीच प्रमुख व्यक्ति बन गए। 1913 ई. में उनकी पहल पर और 1857-59 के जन-विद्रोह की स्मृति में उन्होंने गदर नामक समाचार पत्र आरंभ किया…

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापनाः देश की स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चलाने वालों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंडियन नेशनल कांग्रेस) का प्रथम स्थान रहा है। इस संदर्भ में यह गौरव की बात है कि कांग्रेस के गठन की कल्पना भारतीय सेवा से अवकाश प्राप्त एक स्कॉटलैंडवासी एलन आकटेवियन ह्यूमन ने शिमला में जाखू की पहाड़ी पर बने अपने निवास स्थान राथनी कैसल में मार्च 1885ई. को की थी। आरंभ में ह्यूम का यह विचार था कि कांग्रेस केवल सामाजिक समस्याओं को अपने हाथ में ले परंतु उसने शिमला में जब अपने मन की बात गर्वनर जनरल लार्ड डफरिन के सामने रखी, तब डफरिन से सुझाव के तौर पर उसे अपनी राय दी कि भारतीय राष्ट्र कल्याण को दृष्टि में रखकर इस संस्था को स्वतंत्र राजनीतिक संस्था के रूप में रहने दें। इसका पहला अधिवेशन मुंबई में 28 दिसंबर,1885 ई. को गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कालेज के हाल में हुआ। मुख्य प्रतिनिधियों में शिमला से एओ ह्यूम थे। सम्मेलन का सभापतित्व बैरिस्टर वोमेश चंद्र बैनर्जी ने किया। आरंभ में इस संस्था का अंग्रेज सत्ता से कोई द्वेष नहीं था। उस समय इसका उद्देश्य भारतीयांे को प्रशासन में हिस्सा दिलाने तथा ऊंचे पदों पर नियुक्तियां करने से था। इस समय तक ऊंचे पदों पर अंग्रेज अधिकारी ही लगाए जाते थे। समय के साथ इसकी नीतियों में परिवर्तन आए और यह देश की एक राजनीतिक संस्था बन गई।

गदर अखबार : इस अवधि में देश को स्वतंत्र कराने के लिए कई संगठन उठ खड़े हुए। इनमें कुछ नरमपंथी और कुछ गरमपंथी विचार धारा के थे। दूसरी ओर उस समय देश से बाहर विदेशों में भी भारतीय इस प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे। सन् 1911ई. में लाला हरदयाल भारत से भाग कर फ्रांस होते हुए अमरीका में स्थित सेन फ्रांसिस्कों में पहुंच गए और वहां भारतीयों के बीच प्रमुख व्यक्ति बन गए। 1913 ई. में उनकी पहल पर और 1857-59 के जन-विद्रोह की स्मृति में उन्होंने गदर नामक समाचार पत्र आरंभ किया।

गदर पार्टी : उसी वर्ष अमरीका में विभिन्न भारतीय समुदायों के प्रतिनिधियों के सम्मेलन में इंडियन एसोसिएशन नामक संगठन सिापित किया ओर उसके प्रमुख नेता भी लाला हरदयाल ही थे। शीघ्र ही इसका नाम कदल गर गदर पार्टी रख दिया गया। इसकी कई देशों में शाखाएं थीं। अमरीका में साप्ताहिक अखबार गदर कई भारतीय भाषाओं में निकालते थे। 1913ई. में मंडी के हरदेव राम अध्यापक की नौकरी छोड़कर अमरीका होते हुए जापान पहुंचे। वहां से वे शंघाई चले गए, जहां उनकी भेट गदर पार्टी के नेता डा.. मथुरा सिंह से हुई।  उच्च शिक्षा प्राप्ति का लक्ष्य छोड़ कर हरदेव राम गदर पार्टी में शामिल हो गए। लाला हरदयाल की गदर पार्टी का बहुत सा साहित्य लेकर 1814 ई. में हरदेव एक क्रांतिकारी बनकर भारत वापस लौटे और गदर पार्टी का प्रचार आरंभ किया।

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