लो कास्ट हाउसिंग स्कीम से निजी भूमि मालिकों का किनारा

By: May 28th, 2018 12:05 am

बीबीएन —औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में कामगारों को सुरक्षित व किफायती रिहायश मुहैया करवाने के मक सद से शुरू की गई लो कास्ट हाउसिंग स्कीम को लेकर निजी भूमि मालिक उदासीन बने हुए है। नतीजतन हादसों का सिलसिला निरंतर जारी है,यही वजह रही है कि बीबीएन में सुरक्षित रिहायश की जगह घास फूस व तिरपाल की झुग्गियां धड़ाधड़ बस रही है जो आगजनी के मामलों में भयानक रूप अखित्यार कर लेती है। सनद रहे कि लो कास्ट हाउसिंग के तहत निजि भूमि झुग्गियां बसाने के लिए देने वालों को इसके तहत सुझाए गए मानकों के अनुरूप सस्ती रिहायश बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है , जिसमें सभी मूलभूत सुविधाएं होगी साथ ही सुरक्षित रिहायश के लिए भी प्रेरित किया जाता है लेकिन आलम यह है कि बीबीएन के चुनिंदा भूमि मालिकों को छोड़कर बाकियों ने इस योजना के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखाई है। बीबीएनडीए ने सती भी दिखाई थी लेकिन फिर भी निजी भूमि मालिक नहीं जागे। बहरहाल झुग्गी-झोंपडि़यों में आगजनी की बढ़ती घटनाओं में जहां प्रवासियों की खून-पसीने की कमाई लुट रही है, वहीं अपनों को खोने की टीस भीं उनके दिल को चुभ रही है। बीते सप्ताह गुरुवार को काठा में हुई आगजनी की घटना कोई पहली घटना नहीं है बीबीएन में साल दर साल ऐसे कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें जहां प्रवासी कामगारों की सैकड़ों की तादाद में झुग्गियां राख का ढेर तो बनी ही है ऐसे हादसों में कईयों को जान तक गंवानी पड़ी है। मौजूदा समय में औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में प्रवासी श्रमिकों का आंकड़ा लाखों में है और क्षेत्र में ज्यादा झुग्गी-झोंपडि़यों में प्रवासी कामगार अपना गुजर बसर कर रहे हैं।

निजी भूमि पर बसी थी झुग्गियां

काठा में हुए अग्निकाड़ की शुरुआती जांच में सामने आया है कि यह झुग्गियां निजी भूमि पर बसाई गई थी , पुलिस ने इस बाबत मामला दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू कर दी है।  अग्निकाड़ में सुरक्षा मानकों की जमकर अवहलेना की बात सामने आई है ,लेकिन प्रशासन निजी व सरकारी भूमि पर बसाई जा रही इन बस्तियों के बाबत सब कुछ जानते हुए क्यों बेखबर बना रहा यह सवाल उठ रहे हैं। डीएसपी बद्दी खजाना राम ने बताया कि भूमि सरकारी थी या निजी इसकी जांच की जा रही है, राजस्व विभाग से संबंधित भूमि का रिकार्ड तलब किया गया है।

कई मासूम खो चुके है जिंदगी, नहीं जागा प्रशासन

बीबीएन में झुग्गियों में आग लगने और इसमें जिंदा जलने का यह कोई पहला मामला नहीं है। विगत दशक भर के अरसे में इस तरह के दर्जन भर हादसे घट चुके हैं। बीते गुरुवार को काठा में हुए अग्निकाड में नौ वर्षीय सूरज मौत की नींद सो गया, वर्ष 2016 में भी एक मासूम बच्चे की आगजनी की चपेट में आकर मौत हो गई थी। 11 फरवरी 2013 को बद्दी में मां बेटे झुग्गियों में अचानक लगी आग की चपेट में आने से जिंदा जलकर मर गए थे।

सस्ते आवास निर्माण की परियोजना भी लटकी

बीबीएनडीए ने प्रवासी कामगारों को सरकारी स्तर पर सस्ती रिहायश मुहैया करवाने के मकसद से बद्दी के मोरपेन रोड पर 65 बीघा भूमि पर सस्ते मकान बनाने की योजना तैयार की थी, जिसे भी अभी तक मंजूरी नहीं मिल सकी है। बीबीएनडीए के सीईओ ने प्रदेश सरकार को इस संबंध में प्रस्ताव दिया था , जिस पर सरकार ने डायरेक्टर इंडस्ट्रीज, डीसी सोलन व सीईओ बीबीएनडीए को संयुक्त तौर पर इस परियोजना का विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपने को कहा था। लेकिन बताया जा रहा है कि सरकार ने इस योजना में कोई रुचि नहीं दिखाई और यह कवायद आगे नहीं बढ़ सकी।

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