नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष थे विपिन चंद्र

By: Jun 20th, 2018 12:05 am

विपिन चंद्र जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। अमरीका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले चंद्र ने ‘आधुनिक भारत का इतिहास’ भारत का स्वतंत्रता संघर्ष जैसी कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी हैं…

विपिन चंद्र

कांगड़ा जिला के गरली-परागपुर में 27 मई, 1928 में जन्मे देश के मशहूर इतिहासकार और आर्थिक विशेषज्ञ विपिन चंद्र का 20 अगस्त, 2014 निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। विपिन चंद्र जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष थे। अमरीका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले चंद्र ने ‘आधुनिक भारत का इतिहास’ भारत का स्वतंत्रता संघर्ष जैसी कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी हैं। प्रोफेसर चंद्र ने लाहौर और दिल्ली में पढ़ाई की थी। प्रोफेसर चंद्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष भी रहे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से रिटायरमेंट के बाद वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष भी बनाए गए और 2012 तक इस पद पर रहे। अंतिम दिनों में वह शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जीवनी लिख रहे थे।

बख्शी प्रताप सिंह

इनका जन्म 20 अक्तूबर, 1912 ई. को कांगड़ा जिला के पालमपुर तहसील चढियार गांव में हुआ। इन्होंने मैट्रिक तक शिक्षा ग्रहण की थी। 1931 ई. में आजाद हिंद फौज (आईएनए) में शामिल हो गए। आजाद हिंद फौज के तीन लाख सिपहियों में वह अकेला था, जिसने पांच-छह फरवरी, 1944 ई. में आधी रात को ब्रिटिश शिविर में अकेले घुस कर ब्रिटिश अफसर के ऊपर पहला हमला किया, एक गार्ड को मारा, एक सेना के अफसर को घायल किया और खुद भी घायल हो गए। इस अलौकिक साहस के लिए उन्हें ‘तमगा-ए-शत्रुनाग’ से नवाजा गया। उनकी यूनिट 14 दिन तक बिना भोजन किए गुरिल्ला युद्ध लड़ती रही, जो एक महीना तक जारी रहा। उन्हें 1952 ई. में पालमपुर से कांग्रेस टिकट पर चुना गया। 1957 से 1962 ई. तक वह पंजाब में उपमंत्री रहे। 1966 ई. में पंजाब प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल में विलय होने पर वह राजस्व मंत्री बने और हिमाचल प्रदेश कांगड़ा कमेटी के उपाध्यक्ष भी। 1972 से 1977 तक वह राष्ट्रीय बचत सलाहकार बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। लघु बचत की प्रोन्नति में उनको स्वर्ण पदक दिया गया।

विचित्र सिंह

कांगड़ा जिला के उपमंडल में खेर ग्राम पंचायत के गांव बाड़ी बटरान में सन् 1915 को इनका जन्म हुआ। विचित्र सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका निधन 15 फरवरी, 2011 को वृद्धावस्था के कारण हुआ। वे आजाज हिंद फौज में शामिल हुए और अंग्रेजी सेना के विरुद्ध कई बार लड़ाई की।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App