पूर्णिमा या अमावस्या

By: Jun 9th, 2018 12:07 am

साधना में कौन सा दिन मदद करता है?

पूर्णिमा के दिन ऊर्जा थोड़ी अधिक होती है। सिर्फ पागलपन ही नहीं बढ़ता। अगर आप शांत हैं, तो आप और अधिक शांत हो जाएंगे। अगर आप आनंदित हैं तो आप अधिक आनंदित हो जाएंगे। यानी आपका जो भी गुण है, वह और बढ़ जाएगा। लोगों को सिर्फ पागलपन दिखता है क्योंकि अधिकतर लोग उसी अवस्था में होते हैं…

पूर्णिमा की रात और किसी दूसरी रात के बीच बहुत अंतर होता है। जो लोग थोड़े पागल होते हैं, उन्हें यह अंतर अच्छी तरह पता होता है! देखिए, यह एक तरह से माइक्रोफोन की तरह है। माइक्रोफोन क्या करता है-वह वॉल्यूम बढ़ा देता है, बातचीत वही रहती है, लेकिन अचानक आवाज तेज और साफ हो जाती है। इसी तरह, अगर पहले थोड़ा सा पागलपन रहा हो, तो जब आप उसमें थोड़ी और ऊर्जा डालते हैं तो सब कुछ बढ़-चढ़ कर दिखता है। पूर्णिमा के दिन ऊर्जा थोड़ी अधिक होती है। सिर्फ पागलपन ही नहीं बढ़ता। अगर आप शांत हैं, तो आप और अधिक शांत हो जाएंगे। अगर आप आनंदित हैं तो आप अधिक आनंदित हो जाएंगे। यानी आपका जो भी गुण है, वह और बढ़ जाएगा। लोगों को सिर्फ पागलपन दिखता है क्योंकि अधिकतर लोग उसी अवस्था में होते हैं। लेकिन अगर आप बहुत प्रेमपूर्ण हैं, तो पूर्णिमा के दिन आपका प्रेम भी अधिक छलकेगा। सवाल है कि कौन सी चीज ऊर्जा को बढ़ा देती है? पहली वजह है इसमें एक खास सौंदर्य का होना। अगर आप किसी सुंदर चीज को देखते हैं, तो उस वस्तु के प्रति आपकी ग्रहणशीलता अचानक बढ़ जाती है। अगर आप किसी चीज को बदसूरत मानते हैं तो जैसे ही आप उसकी ओर देखते हैं, आपकी ग्रहणशीलता कम हो जाती है। पूर्णिमा के चांद में एक खास सौंदर्य होता है, जो निश्चित रूप से आपकी ग्रहणशीलता को बढ़ा देता है। दूसरा पहलू यह है कि पृथ्वी अपने उपग्रह के साथ एक खास अवस्था में चली जाती है, जो वाईब्रेशंस को बहुत सीधा और शक्तिशाली बना देता है। चंद्रमा के गुरुत्त्वाकर्षण बल के कारण इस दिन लहरें ऊंची उठती हैं। पानी ऊपर तक छलकता है और ऊंचा उछलने की कोशिश करता है। इसी तरह, आपका खून भी उछलने की कोशिश करता है। जब आपके दिमाग में खून का संचार बढ़ता है, तो आपका जो भी गुण है, वह बढ़ जाता है।

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