फाइलों में सिमटी स्कूलों की ट्रांसपोर्ट नीति
धर्मशाला —नूरपुर बस हादसा होने के बाद प्रदेश सरकार व प्रशासन ने दो सप्ताह तक जिला कांगड़ा सहित प्रदेश भर में लापरवाही बरत रहे स्कूल वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ प्रशासन व सरकार स्कूल वाहनों में चल रही अव्यवस्था को भी भूल गया। हालात एक बार फिर उसी ढर्रे पर पहुंच गए है, जिसमें नूरपुर स्कूल बस हादसे में 25 मासूमों सहित 28 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। उस दौर में सरकार व प्रशासन ने कई बैठकें कर कई नियम व शर्तें लागू की पर असल में ग्राउंड पर एक भी लागू नहीं हो पाई है। नूरपुर बस हादसे में प्रशासन द्वारा सख्ती से पेश आने के बाद स्कूल वाहनों के किराए में इजाफा तो हो गया है, लेकिन स्कूली बच्चों को आज भी वाहनों में ठूंस-ठूंस के बोरियों की तरह भरा जा रहा है। सरकार के मंत्रियों ने इस मामले पर कई बयान जारी किए कि अब प्रदेश की भूगौलिक स्थिति को देखते हुए ट्रांसपोर्ट नीति तैयार की जाएगी। इसमें खासकर स्कूली वाहनों को ध्यान में रखकर नियम व शर्तें लागू की जाएगी, लेकिन सरकार ने भी अब इस योजना को ठंडे बस्ते में डालकर रख दिया है या तो यूं कहें कि योजना फाइलों में ही सिमट कर रह गई है। शिक्षाविदों का कहना है कि शिक्षा के क्षेत्र में यह दौर गुजर रहा है, बेहद पीड़ाजनक है। सरकारी स्कूलों में लोगों का बिलकुल भी विश्वास नहीं रहा है, क्योंकि सरकार ने अध्यापकों को शिक्षा में ध्यान देने के बजाय फालतू के कामों में ही उलझा कर रख दिया है। शिक्षाविदों का कहना है कि सरकार इस मामले पर शांत है, लेकिन यह मुद्दा बहुत गंभीर है। इस पर सरकार को चिंतन करना चाहिए और तत्काल प्रभाव में फैसला लेकर आने वाले कल को सुरक्षित करना चाहिए।
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