योग से बदलेगी युवाओं की मानसिकता

By: Jun 21st, 2018 12:05 am

अदित कंसल

लेखक, नालागढ़ से हैं

विद्यार्थियों को इस प्रकार के व्यसनों, अवसाद व तनाव से छुटकारा योग अभ्यास दिला सकता है। योग से जहां एक ओर विद्यार्थियों की दिनचर्या नियमित होगी, वहीं दूसरी ओर उनका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा। योग से विद्यार्थियों का आत्मबल, धैर्य व सहनशक्ति प्रबल होगी…

गलाकाट स्पर्धा, अच्छे अंक लेने की होड़, परीक्षा तनाव, मनमाफिक परीक्षा परिणाम न मिलने के कारण देश व प्रदेश में अनेक विद्यार्थियों के खुदकुशी करने के मामले प्रतिदिन समाचारपत्रों की सुर्खियां बनते हैं। 2013 से अब तक कोचिंग सेंटर केंद्र कोटा में 70 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है। अतिशयोक्ति न होगी कि कोटा अब कोचिंग कैपिटल नहीं, अपितु सुसाइड कैपिटल बन गया है। सप्ताह पहले गोरखुवाला (सिरमौर) की दसवीं की परीक्षा की कंपार्टमेंट का पेपर सही न होने पर छात्रा ने तनाव में आकर आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में छात्रा ने माता-पिता और शिक्षक से माफी मांगी है। इसी वर्ष हिमाचल स्कूल शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा में अंगे्रजी का पेपर देकर लौटी वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल नबाही (मंडी) की छात्रा ने वर्दी के दुपट्टे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। आश्चर्य होता है कि मेधावी छात्र भी आत्महत्या जैसा घिनौना कदम उठाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। इसी वर्ष मार्च माह में एमए और एमफिल में स्वर्ण पदक विजेता रही बिलासपुर की एक होनहार छात्रा ने पीएचडी में प्रवेश न मिलने के कारण फंदा लगाकर जान दे दी।

यही नहीं, विद्यार्थियों में हिंसात्मक प्रवृत्ति भी बढ़ रही है। छोटी-छोटी बातों पर संयम खोना, मरना-मारना उनके लिए आम बात हो गई है। लखनऊ के ब्राइटलैंड स्कूल में सातवीं की छात्रा ने पहली के बच्चे को शौचालय में ले जाकर चाकू से गोद दिया। अभी हाल ही में पांवटा में आईटीआई के छात्र ने नाम काटे जाने से क्षुब्ध होकर, शिक्षक पर परिसर में ही चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर घायल कर दिया। भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल’ में खुलासा हुआ है कि भारत में हर तीन में एक आत्महत्या 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के बीच के युवा व हर तीन में से दो आत्महत्याएं 15 वर्ष से 44 वर्ष के युवा कर रहे हैं। यानी युवाओं में आत्महत्या का प्रचलन बढ़ रहा है। रही सही कसर सोशल मीडिया पूरी कर रहा है। विद्यार्थियों को मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट की लत पड़ गई है। वह अपना अधिकतर समय फेसबुक, व्हाट्सऐप, पोर्न साइट्स, इंस्टाग्राम पर बर्बाद कर रहे हैं। वैज्ञानिक इसे व्यसन का संकेत मानते हैं।

एक अध्ययन के अनुसार आठ से 18 वर्ष की आयु के प्रत्येक दस में से एक बच्चा, ऑनलाइन खेलों का आदी होता है। सोशल मीडिया के अनुचित व अधिक प्रयोग से विद्यार्थियों के दृष्टिकोण में परिवर्तन, अवसाद, चिंता, क्रोध, असहजता, बेचैनी, अचानक रोना इत्यादि लक्षण देखने को मिल रहे हैं। कई खेल जैसे पोकेमान गो, ब्लू व्हेल आदि के कारण विद्यार्थी आत्महत्या की ओर अग्रसर हो रहे हैं। नशे की लत, जंक फूड का प्रयोग, यौन संलिप्तता विद्यार्थियों को अवसाद व तनाव की ओर धकेल रहे हैं, जिसके कारण विद्यार्थी घनघोर निराशा, हीनभावना, पछतावा, भविष्य की चिंता, अकेलापन, स्मरण शक्ति में कमी से ग्रसित हो रहे हैं तथा आत्महत्या जैसा आपराधिक कदम उठा रहे हैं। विद्यार्थियों को इस प्रकार के व्यसनों, अवसाद व तनाव से छुटकारा योग अभ्यास दिला सकता है। योग से जहां एक ओर विद्यार्थियों की दिनचर्या नियमित होगी, वहीं दूसरी ओर उनका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा। योग से विद्यार्थियों में चिंतन शक्ति, स्मरण शक्ति, निर्णय शक्ति, एकाग्रता जैसी अनेक क्षमताओं का विकास होगा। विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, स्वावलंबन, आदरभाव, अनुशासनप्रियता, भाईचारा, कार्यसंस्कृति, योग्यता, संयम, अस्मिता की रक्षा, आनंद, प्रबुद्धता, सामाजिकता, नैतिकता, अंतःदृष्टि जैसे जीवन मूल्यों का पदार्पण होगा। प्रतिदिन योगाभ्यास करने से विद्यार्थी चरित्रवान व सशक्त बनेंगे तथा क्रोध, कुंठा, हताशा, अपमान पर विजय पा सकेंगे। असफलताएं, ठोकरें, नाकामयाबियां उनको असंतुलित नहीं कर सकेंगी। प्रिय विद्यार्थियों, एपीजी अब्दुल कलाम ने कहा था कि ‘मनुष्य के लिए कठिनाइयां बहुत जरूरी हैं, क्योंकि उनके बिना सफलता का आनंद नहीं लिया जा सकता है।’ प्रतिदिन योग करने वाला विद्यार्थी जीवन में आनंद व रसता का अनुभव प्राप्त कर सकेगा। योग से विद्यार्थी ऊर्जा की जीती-जागृत साकार प्रतिमा बन सकेगा। अपनी क्षमताओं, प्रतिभाओं, गुणों व कमियों का मूल्यांकन कर सकेगा। यम, नियम, आसन व प्राणायाम करने से विद्यार्थियों में नवीन ऊर्जा का संचार होगा। वे नशे से दूर रहेंगे। शरीर के प्रति संवेदनशीलता बढ़ने से वे अपने खानपान का भी ध्यान रखेंगे। विद्यार्थी अनुशासित होंगे तथा यौन प्रकरणों पर अंकुश लगेगा। उनकी हिंसात्मक सोच व आपराधिक मानसिकता परिवर्तित होगी।

सरकार को चाहिए कि योग विषय पहली कक्षा से ही विद्यालयों में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए। प्रत्येक विद्यालय में योग शिक्षक की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए। योग की कक्षाएं प्रातःकालीन सत्र में विद्यालय प्रारंभ होने से पूर्व ही संपन्न हों। गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी ‘वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट 2018’ में भारत को 133वां स्थान दिया गया है। 2017 के वैश्विक खुशहाली रिपोर्ट की तुलना में भारत 11 पायदान नीचे खिसक गया है। खुशियों में प्रदेश व देश को ऊपर पहुंचाने का एकमात्र साधन ‘योग’ है। योग से विद्यार्थी खुश रहेगा, अध्यापक खुश रहेंगे, माता-पिता खुश रहेंगे, समाज खुश रहेगा, प्रदेश खुश रहेगा। अंततः भारत खुश रहेगा।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App