सीमावर्ती क्षेत्रों में पंजाबी संस्कृति

By: Jun 20th, 2018 12:05 am

पंजाब के साथ लगने से इस घाटी पर पंजाबी संस्कृति की छवि स्पष्ट झलकती है। सरसा घाटी में मिले प्राचीन औजार इसके ऐतिहासिक महत्त्व को उजगार करते हैं। लोग विभिन्न प्रकार का पेशा अपनाए हुए हैं। घाटी के औद्योगिक नगरों परवाणू, बरोटीवाला, बद्दी व नालागढ़ में स्थापित उद्योगों में काम करने के अलावा खेतीबाड़ी के साथ पशुओं का व्यापार घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय है…

गतांक से आगे…

सरसा घाटी

कालका के ऊपर  शिवालिक पहाडि़यों से निकलने वाली ‘बल्द नदी’ ही आगे आकर सारसा नदी बन जाती है। बल्द  नदी भी आगे नयानगर के सीप दो खड्डों अम्बोटा खड्ड और बरागु खड्ड के आपस में मिलने के  बाद अस्तित्व में आती है। पंजाब के साथ लगने से इस घाटी पर पंजाबी संस्कृति की छवि स्पष्ट झलकती है। सरसा घाटी में मिले प्राचीन औजार इसके ऐतिहासिक महत्त्व को उजगार करते हैं। इस घाटी के लोग विभिन्न प्रकार का पेशा अपनाए हुए हैं। घाटी के औद्योगिक नगरों परवाणू, बरोटीवाला, बद्दी व नालागढ़ में स्थापित उद्योगों में काम करने के अलावा खेतीबाड़ी के साथ पशुओं का व्यापार घाटी के लोगों का मुख्य व्यवसाय है। इस घाटी की मुख्य फसलें गेहूं, चावल व मक्की हैं। घाटी के प्रमुख शहर डगशाई, कसौली, सनावर, नाहरी, बेजा हरिपुर तथा रामशहर हैं। इस घाटी में स्थित कसौली शहर शिवालिक पर्वत माला का एक सुंदर रमणीक पर्यटन स्थल है। यह समुद्र तल से 6000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इसका पुराना नाम कसूल था, जो बदलकर कसौली हो गया। इसकी ऊंची चोटी मंकी प्वांट के रूप में जानी जाती है। कसौली में 1905 में डा. सेंपल द्वारा एक पास्वर खोला गया। इसे अब कें्रदीय अनुसंधान संस्थान के नाम से जाना जाता है। यहां पागल कुत्तों की निरोधक वेक्सिनों का निर्माण व सांप के काटे का इलाज होता है।


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