अब बिना पढ़ाई नहीं होंगे पास

By: Jul 19th, 2018 12:05 am

प्राथमिक शिक्षा में परीक्षा बहाल करने वाला विधेयक लोकसभा में ध्वनिमत से पारित

नई दिल्ली — प्राथमिक शिक्षा में परीक्षा की अनिवार्यता लागू करने और छात्रों को फेल न करने की व्यवस्था खत्म करने के प्रावधान वाले विधेयक को लोकसभा ने बुधवार को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (दूसरा संशोधन) विधेयक 2018 पर सदन में करीब साढ़े तीन घंटे तक चली बहस का जवाब देते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इससे शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही को दोबारा लाने का प्रयास किया गया है। मंत्री के उत्तर के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। चर्चा में 24 सदस्यों ने भाग लिया और एक को छोड़ कर सभी ने इसका समर्थन किया। श्री जावड़ेकर ने कहा कि परीक्षा की अनिवार्यता समाप्त करने एवं किसी को फेल नहीं करने की नीति से शिक्षा व्यवस्था में जवाबदेही को नुकसान हो रहा था और छात्रों में अध्ययन करने की प्रवृत्ति घट रही थी। उन्होंने कहा कि शिक्षा की स्थिति को लेकर देशव्यापी सर्वेक्षण किया गया है और सभी जिलों का प्रोफाइल बनाया गया है, जिसे सांसदों को भी भेजा गया है। उन्होंने कहा कि 2012 की तुलना में 2016 में शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि कहा कि 2009 में अस्तित्व में आए शिक्षा के अधिकार कानून में आठवीं कक्षा तक किसी भी विद्यार्थी को फेल नहीं करने के प्रावधान किए गए थे, लेकिन इसका शिक्षा के स्तर पर विपरीत असर पड़ा है। फेल होने का डर समाप्त होने के कारण विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति जहां रुचि समाप्त हुई है, वहीं शिक्षक भी परीक्षा परिणाम को लेकर निश्चिंत हो गए हैं। प्रस्तावित विधेयक के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके कानून बन जाने की स्थिति में विद्यार्थियों को पांचवीं और आठवीं कक्षा की परीक्षाएं पास करना अनिवार्य होगा। परीक्षा किस मॉडल पर ली जाए, यह राज्य तय करेंगे। असफल रहने वाले विद्यार्थियों को मई माह में एक मौका और दिया जाएगा। पूरक परीक्षा में भी असफल रहने पर संबंधित राज्य सरकार ही तय करेगी कि उस छात्र/छात्रा को अगली कक्षा में जाने से रोका जाए या नहीं।

पहले दिन पास हुआ एसबीआई से जुड़ा बिल, पांच बैंकों के विलय को मंजूरी

स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन) विधेयक 2017 राज्यसभा से पारित कर दिया गया। इस विधेयक में एसबीआई के पांच बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक में विलय का प्रावधान है। वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने पेश किया और इसके बाद इस पर विस्तार से चर्चा की गई। मंत्री ने विलय के फायदे गिनाते हुए कहा कि इससे लागत को कम कर बैंक की लाभप्रदता बढ़ाने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी। इस विलय के बाद सरकार किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं की गई है। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी है। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर का पिछले वर्ष अप्रैल में एसबीआई में विलय हुआ था।

मानव तस्करी निरोधक बिल लोकसभा में पेश

मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए न्यूनतम दस साल सश्रम कारावास और अधिकतम उम्रकैद के प्रावधानों वाला मानव तस्करी निरोधक ्रिबल लोकसभा में पेश किया गया। महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भोजनावकाश के बाद सदन में मानव तस्करी (निरोधक, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक 2018 पेश किया। इस बिल में मानव तस्करी के दोषी व्यक्ति के लिए कम से कम दस साल के सश्रम कारावास की सजा और अधिकतम आजीवन कारावास के प्रावधान किए गए हैं। ऐसे अपराधी के लिए एक लाख रुपए का जुर्माना का प्रावधान भी रखा गया है।

सात नए सदस्यों ने ली  राज्यसभा सदस्यता की शपथ

राज्यसभा के लिए मनोनीत सुप्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मान सिंह, उत्तर प्रदेश के दलित नेता राम शकल, जाने माने विचारक प्रो. राकेश सिन्हा और प्रख्यात प्रस्तरशिल्पी रघुनाथ महापात्रा तथा तीन अन्य नवनिर्वाचित सदस्यों ने बुधवार को सदन की सदस्यता की शपथ ली। सभापति एम वेंकैया नायडू ने मानसून सत्र के पहले दिन सबसे पहले नए सदस्यों को शपथ दिलाई। सोनल मान सिंह, श्री शकल और श्री सिन्हा ने हिंदी में शपथ ली, वहीं श्री महापात्र ने उडिया में शपथ ली।  इन चारों को पिछले सप्ताह ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था।  केरल से निर्वाचित तीन सदस्यों ने भी उच्च सदन की सदस्यता की शपथ ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ई करीम ने अंग्रेजी, केरल कांग्रेस (मणि) के जोस के मणि ने अंग्रेजी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बिनय विशम ने मलयाली में सदन की सदस्यता की शपथ ली।

राज्यसभा में अब 22 भाषाओं में अपनी बात रख सकेंगे सांसद

राज्यसभा में अब सदस्य डोगरी, कश्मीरी, कोंकणी, संथाली और सिंधी भाषा में भी अपनी बात रख सकेंगे। इसके साथ ही सदन में संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में अनुवाद की व्यवस्था शुरू हो गई है। अब तक सदस्य केवल 17 भाषाओं में ही अपने बात रख सकते थे। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को सदन में सदस्यों से कहा कि वे अपनी भाषाओं में बात रख सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले से सूचना देनी होगी। विशेष रूप से इन पांचों नई भाषाओं में बोलने वाले सदस्यों को पूर्व जानकारी देनी होगी। उन्होंने कहा कि इन भाषाओं के लिए द्विभाषियों की व्यवस्था लोकसभा से और बाहर से अनुबंध के आधार पर की गई है। इन लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है, लेकिन अभी इन्हें शब्दावली को समझने में कुछ समय लग सकता है। सदस्यों ने मेजें थपथपा कर नई व्यवस्था का स्वागत किया।


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