करसोग में नहीं बना आईटीआई भवन

By: Jul 16th, 2018 12:07 am

करसोग   – विधानसभा के अनेकों विकास कार्यों को लेटलतीफी का ऐसा काला ग्रहण लगा हुआ है जो हटने का नाम ही नहीं ले रहा, जिस प्रकार करसोग के विकास कार्य दशकों से अधर मे लटके हुए हैं उस जेसी मिसाल शायद प्रदेश में कहीं ओर देखने को मिले। लगभग 18 साल पहले  तीन सिंतबर 2000 को शिलान्यास हुए करसोग आईटीआई भवन का निर्माण आज तक शुरू नहीं होते हुए वहां पर एक इंट भी नहीं लगी है, भवन कब मूर्त रूप लेगा इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। आईटीआई करसोग के शिलान्यास के बाद प्रदेश में भाजपा की सरकार तीसरी दफा सत्ता में आ चुकी है पर आईटीआई भवन निर्माण का भाग्य नहीं खुल पाया है। हालांकि करसोग में आईटीआई भवन निर्माण का शिलान्यास भी लगभग 18 वर्ष पूर्व तीन सितंबर 2000 में ततकालीन पुर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धुमल द्वारा किया गया परंतु वह शिलान्यास से आगे आज तक जहां एक कदम भी नहीं बढ़ पाया है वहीं शिलान्यास वाले स्थल पर न तो अब वह शिलान्यास पटिका देखने को मिलती है और न ही शिलान्यास वाले स्थल पर आईटीआई भवन का निर्माण किए जाने की अब कोई योजना है। वर्षो से नए स्थल का चयन कागजों में सफर करता हुआ कभी यहां तो कभी वहां अपनी मंजिल पर पहुंचने की मश्कत कर रहा है तथा लगभग 18 सालों से अभी तक भी आईटीआई भवन निर्माण कहां होगा इसके लिए स्थान का चयन ही मात्र कुछ महीने पहले ही हो पाया है, ओर भवन निर्माण अब टेंडर प्रक्रिया पूरी होने की बात कही जा रही है। लगभग 18 साल पहले तीन सितंबर दो हजार को आईटीआई भवन का शिलान्यास आज भी वहीं लटका हुआ है जहां किया गया था। करसोग आईटीआई भवन का निर्माण आज तक नहीं हो पाया है जो जनता व युवाओ के साथ धोखा हे। आईटीआई का अपना भवन नहीं होने पर तथा किराए के भवन में मात्र दो टे्रड कम्प्युटर संबधी व ड्रेस मैकिंग के ही गत 18 सालों से चल रहें हैं। जुटाई गई जानकारी के अनुसार करसोग को तत्कालीन पुर्व भाजपा गठबंधन सरकार के कार्यकाल दौरान पुर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धुमल द्वारा आईटीआई भवन का किया गया शिलान्यास काफी समय तक मात्र शिलान्यास ही बन कर पड़ा रहा तो इसी बीच शिलान्यास वाले स्थान पर बिजली की टावर लाइन बिछने के कारण वह स्थल आईटीआई भवन निर्माण को लेकर उपयुक्त न माना गया व निर्माण कार्य के शुरू होने से पहले ही इस योजना का कार्य कागजों में यह कहते हुए उलझ गया कि किसी नए स्थान का चयन किया जाए उसके बाद आईटीआई भवन निर्माण को लेकर एक बार नहीं बल्कि आधा दर्जन बार भवन निर्माण को लेकर स्थल का चयन करने के लिए सरकारी प्रयास शुरू हुए परंतु अभी तक सथान चयन वाली योजना ही में सिरे चढ़ पाई है, ओर कछुआ चाल से भवन निर्माण की चलाई कागजी ओपचारिकता मात्र टेंडर प्रक्रिया पूरी होने तक ही पहुंची है। आलम यह है कि वर्तमान में पिछले लगभग 18 सालों से लेकर अभी तक आईटीआई करसोग पुराना बाजार में किराए के भवन में ही चला हुआ है जिसका प्रति माह लगभग 15 हजार रुपए से भी ज्यादा भुगतान किराए के रूप में चुकाना पड़ रहा है। मांग है कि भाजपा गठबंधन द्वारा लगभग 18 साल पहले की गई आईटीआई भवन निर्माण की घोषणा को पूरा करने संबंधी पुख्ता कदम उठाऐं, ताकि ऐसी योजनाऐं अधर में न लटकी रहें।

सिर्फ कागजी घोषणाएं

करसोग – आईटीआई भवन करसोग का निर्माण करने का आष्वासन पुर्व सरकार ने देते हुए कुछ पषिक्षण टे्रड भी बढ़ाने की घोषणा की पर वह भी कागजी घोषणा ही बनी अब करसोग की जनता करे तो क्या करे। न 18 सालों में भवन बना न टे्रड बढ़े जो भी आया बस सपने दिखाए। अब तो 18 साल के बाद भवन निर्माण पर आने वाला खर्च भी कई गुणा बढ़ चुका हे जो जनता की जेब को ओर कंगाल बनाऐगा।

किराए का भवन

करसोग – उपमंड़ल करसोग के पुराना बाजार स्थित आईटीआई को खुले हुए भले ही लगभग अठारह वर्ष हो चुके हैं परंतु अपना भवन न होने के चलते अभी तक इस व्यव्सायिक केंद्र मे मात्र दो ट्रेड कम्प्युटर संबधी व ड्रेस मैकिंग के ही चलाए जा रहे हैं जबकि हर महीने हजारों रुपए भवन किराए देकर इस केंद्र को चलाना पड़ रहा है। यदि आईटीआई करसोग को अपना भवन मिल जाता है तो जहां ट्रेड की संख्या दो से बढ़कर लगभग दस तक पहुंचते हुए विद्यार्थियों को विभिन्न व्यवसायिक प्रशिक्षण मिलेगें वहीं हजारों रुपए भवन किराए में अदा करने से भी निजात मिलेगी।


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