किसने  दिया राधा रानी को श्राप

By: Jul 14th, 2018 12:05 am

संसार में जब भी प्यार का नाम लिया जाता है भगवान श्रीकृष्ण और राधा का नाम सबसे पहले आता है, बल्कि प्रेम की इस पराकाष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राधा का नाम श्रीकृष्ण से पहले लिया जाता है। इसके अलावा श्रीकृष्ण की 16108 पत्नियां होने के बाद भी राधा रानी का नाम श्रीकृष्ण के साथ पहले जपा जाता है। इसके बावजूद  राधा और कृष्ण का विवाह नहीं हुआ। ‘श्री’ का अर्थ है ‘शक्ति’ अर्थात ‘राधा जी’ कृष्ण यदि शब्द है, तो राधा अर्थ है। कृष्ण गीत है, तो राधा संगीत है, कृष्ण बंसी है, तो राधा स्वर है, कृष्ण समुद्र है, तो राधा तरंग है, कृष्ण पुष्प है, तो राधा उस पुष्प कि सुगंध है। राधा जी कृष्ण जी की अल्हादिनी शक्ति हैं। वे दोनों एक- दूसरे से अलग हैं ही नहीं। ठीक वैसे जैसे शिव और हरि एक ही हैं। भक्तों के लिए वे अलग-अलग रूप धारण करते हैं, अलग-अलग लीलाएं करते हैं।

राधा एक आध्यात्मिक पृष्ठ हैं जहां द्वैत-अद्वैत का मिलन है। राधा एक संपूर्ण काल का उद्गम है जो कृष्ण रूपी समुद्र से मिलती हैं। श्री कृष्ण के जीवन में राधा प्रेम की मूर्ति बनकर आईं। जिस प्रेम को कोई नाप नहीं सका, उसकी आधारशिला राधा जी ने ही रखी थी। संपूर्ण ब्रह्मांड की आत्मा भगवान कृष्ण हैं और कृष्ण की आत्मा राधा हैं। आत्मा को देखा है किसी ने तो राधा को कैसे देख लोगे।

राधा रहस्य थीं और रहेंगी। राधा-कृष्ण की प्रेम गाथा से कोई अंजान नहीं हैं। श्रीकृष्ण अगर शब्द हैं, तो राधा रानी उस शब्द का अर्थ। सृष्टि से पूर्व दिव्य गोलोक धाम में निरंतर रास विलास करते-करते एक बार श्री राधा जी के मन में एक पुत्र पैदा करने की इच्छा हुई। इच्छा होते ही पुत्र की उत्पत्ति हुई। परम सुंदरी का पुत्र भी परम सुंदर हुआ। एक दिन उस पुत्र ने जम्हाई ली। उस के पंच भूत, आकाश, पाताल, वन, पर्वत, वृक्ष, अहंतत्त्व, अहंकार, प्रकृति, पुरुष सभी दिखाई दिए। उसके मुख में ऐसी आलय बलाय देख कर सुकुमारी श्री राधा रानी को बड़ा बुरा लगा। उन्होंने मन ही मन सोचा कैसा विराट बेटा हुआ है। उन्होंने उसे जल में रख दिया। वही बेटा विराट पुरुष हुआ।

उसी से समस्त ब्रह्मांडों की उत्पत्ति हुई। राधा रानी का अपने पुत्र के प्रति ऐसा व्यवहार देखकर श्री कृष्ण ने राधा रानी को श्राप दिया, अब भविष्य में तुम्हें कभी संतान होगी ही नहीं। तभी तो राधा रानी का नाम कृशोदरी पड़ा। इनका पेट कभी बढ़ता ही नहीं। राधा और कृष्ण के प्रेम की तो संपूर्ण संसार पूजा करता है। कृष्ण का नाम राधा के बिना अधूरा है और राधा का कृष्ण के बिना।

राधा कृष्ण की प्रेम गाथा को हर कोई नहीं जान सकता। भक्ति और प्रेम का ऐसी पराकाष्ठा तो शायद ही कहीं और हो। जब भी प्रेम का उदाहरण दिया जाता है, तो राधा और कृष्ण का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। मान्यता है कि यदि राधा के बिना कृष्ण की आराधना की जाती है, तो वह सफल नहीं होती।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App